पापियों के पाप धोते - धोते गंगा कब की मैली हो चुकी। नौबत इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने तक की आ गई है। सरकारों द्वारा करोड़ों रुपए फूंकने के दावों के बावजूद गंगा अब तक मैली की मैली ही है। लेकिन लगता है देश के राजनेताओं ने गंगा को एक नया काम सौंप दिया है। वह है राजनीतिक पाप धोने का। कम से कम प श्चिम बंगाल में तो इसकी बानगी हाल में कई बार देखने को मिल चुकी है। पंचायत चुनाव में जबरदस्त सफलता हासिल करने के बाद प्रदेश के कुल 14 जिला परिषदों में अध्यक्ष को पदासीन करने और शपथ ग्रहण से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने सभी जिला परिषद भवनों को गंगाजल छिड़क कर पहले शुद्ध किया , और इसके बाद ही भीतर प्रवेश कर आगे की कार्रवाई की।
तृणमूल कांग्रेस समर्थकों की दलील है कि करीब 35 साल के शासन काल के दौरान कम्युनिस्ट पार्टियों ने इतने पाप किए किए किउन्हें गंगा ही पवित्र कर सकती है। जनता के पैसों को विकास के बजाय कैडर राज चलाने में खत्म कर दिया। हम इस पाप के भागी क्यों बने. इसलिए गंगाजल से शुद्ध व पवित्र करने के बाद ही हमने जिला परिषद भवनों में कदम रखा। हमें अगले कई सालों तक इसके माध्यम से जनता की सेवा करनी है। तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इस कवायद से जिला परिषद भवनें कितना पवित्र हो पाई, यह तो पता नहीं, लेकिन इमाम भत्तों व कई अन्य कायर्क्रमों से अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के आरोप झेल रही टीएमसी के इस कदम से परंपरागत हिंदू काफी खुश हैं। इससे भी पार्टी को राजनैतिक लाभ ही पहुंचा है। ऐसे मेंउम्मीद की जा सकती है किइनलाइन चित्र 1आने वाले दिनों में देश के तमाम राजनैतिक दल गंगा को राजनैतिक पाप धोने का अतिरिक्त कार्य भी सौंप सकती है।
तारकेश कुमार ओझा,
खड़गपुर ( प शिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।
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