अफगानिस्तान में तालिबान के हाथों मारी गई भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी की लिखी किताब 'काबुलीवालार बंगाली बहू' की मांग बढ़ गई है। यह जानकारी किताब के प्रकाशक ने बुधवार को दी। इस किताब में लेखिका ने अफगानिस्तान में अपने पति जांबाज खान के साथ बिताए गए दिन और तालिबान के चंगुल से बचकर भागने का ब्योरा दिया है। बांकुरा और मिदनापुर जैसे जिलों से भी लोगों ने इसकी प्रतियों की मांग की है।
भाषा ओ साहित्य प्रकाशन के स्वप्न बिस्वास ने कहा, "लोग हमारे विक्रय केंद्रों तक पहुंच रहे हैं और इस किताब की मांग कर रहे हैं। हमसे अंग्रेजी और बांग्ला संस्करण की करीब 1000 प्रतियों की मांग की जा चुकी है।" बनर्जी (49) को अफगानिस्तान के पाकटिका प्रांत के शरान शहर में 5 सितंबर को उसके परिवार के अन्य सदस्यों को बांध देने के बाद घर से खींच कर बाहर निकाला गया और फिर संदिग्ध तालिबान आतंकवादियों ने गोली मार दी।
भारत में अपने परिवार का विरोध कर बनर्जी ने अफगान व्यापारी जांबाज खान के साथ शादी की और उसके साथ वर्षो तक अफगानिस्तान में रही। बाद में वह भारत लौट आई और 1998 में उन्होंने 'काबुलीवालार बंगाली बहू' शीर्षक से संस्मरण लिखा। इस किताब में तालिबान शासन में महिलाओं की दुर्दशा के बारे में विस्तार से लिखा गया है। भारत में यह किताब बेस्ट सेलर मानी जाती है और इस पुस्तक पर 2003 में फिल्म बनी जिसमें सुष्मिता का किरदार मनीषा कोइराला ने निभाया।
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