केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने गुरुवार को शौचालय की कमी को देश की सबसे बड़ी असफलता बताया और कहा कि इसके कारण बच्चों में कुपोषण की समस्या सामने आती है। ग्रामीण विकास पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए यहां रमेश ने कहा, "(गांवों में) कम से कम दो-तिहाई परिवार खुले में शौच करते हैं।" उन्होंने कहा कि गांवों में भौतिक अधोसंरचना क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है, लेकिन सामाजिक संरचना क्षेत्र में स्थिति सकारात्मक नहीं है।
रमेश ने हालांकि कहा कि पेयजल की उपलब्धता के मोर्चे पर स्थिति कुछ बेहतर है। लेकिन गुणवत्ता चिंताजनक है। उन्होंने कहा, "समस्या उपलब्धता की नहीं है, बल्कि गुणवत्ता की है।" मंत्री ने कहा कि एक बिंदु की ओर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है वह है खुले में शौच करना और कुपोषण। उन्होंने कहा, "शौचालय (की कमी) सबसे बड़ी असफलता है सिर्फ भारत सरकार के लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय समाज के लिए भी।"
उन्होंने कहा कि गांव और शहरों के बीच अंतर घट रहा है। उन्होंने कहा, "ग्रामीण क्षेत्र का अधिकाधिक शहरीकरण हो रहा है। उनकी शासन व्यवस्था ग्रामीण है, लेकिन उसका चरित्र शहरी है। इस स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास कोई नीति नहीं है।"
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