केदारघाटी में अघोषित कर्फ्यू के हालात, बिना तीर्थयात्रियों के कैसी पूजा: पोस्ती
देहरादून, 10 सितम्बर। मंदाकिनी घाटी में गुप्तकाशी से लेकर केदारनाथ तक जिला प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। बुधवार को केदारनाथ में पूजा को लेकर ये कर्फ्यू लगाया गया है। गुप्तकाशी से आगे बिना पहचान पत्र के स्थानीय लोगों तक को भी आगे नहीं जाने दिया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है। कुल मिलाकर गुप्तकाशी से लेकर केदारनाथ तक अघोषित कर्फ्यू की स्थिति बनी हुई है। उत्तराखण्ड के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब बाहरवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ की पूजा इतने कड़े पहरे के बीच और आम श्रद्धालुओं को भगवान शिव से दूर कर की जा रही है। जिला प्रशासन ने गुप्तकाशी के बाद फाटा, सौनप्रयाग और गौरीकुण्ड में सुरक्षा व्यवस्था इतनी पुख्ता की हुई है कि आम आदमी का वहां से निकलना दूभर हो गया है। यात्रा मार्ग पर भारी पुलिस बल की तैनाती से स्थानीय लोगों में रोष है। वहीं बीते दिन आक्रोशित लोगों ने रूद्रप्रयाग, गोपेश्वर और गुप्ताकाशी में सरकार के खिलाफ जबदस्त प्रदर्शन किए जाने की जानकारी भी मिली है। आम श्रद्धालु जो केदारनाथ में पुनः पूजा शुरू होने की जानकारी के बाद दर्शन करने पहुंच रहा है, उसको भी फाटा से आगे नहीं जाने दिया जा रहा है, यहां तक की मीडिया कर्मियों को भी केदारनाथ मार्ग पर पैदल जाने की अनुमति नहीं है। जिला प्रशासन के अनुसार केदारनाथ वही लोग जा पाएंगे, जिनको सरकार हैलीकाप्टर से केदारनाथ उतारेगी। जिला प्रशासन ने फाटा से आगे अपने गांव जा रहे लोगों तक के रास्ते रोक दिए हैं। स्थानीय बलवंत सिंह रावत का कहना है कि आपदा के ढाई महीने से अधिक गुजर जाने के बाद भी प्रदेश सरकार बुनियादी सुविधाएं नहीं जोड़ पाई है, यही कारण है कि सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए लोगों को केदारनाथ मार्ग पर जाने को प्रतिबंध कर रही है, जो उनकी स्वतंत्रता का हनन है। वहीं दूसरी ओर केदारनाथ मंदिर में पूजा करने वाले पुरोहितों के अध्यक्ष पोस्ती का कहना है कि सरकार हमसे हमारे प्राचीनकाल से चले आ रहे हक-हकूकों को छीनना चाहती है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम में पूजा करने वाले पुरोहित समाज कल केदारनाथ की ओर कूच करेगा। इसके लिए आज गुप्तकाशी में पण्डा समाज की एक महत्वपूर्ण बैठक भी हुई। जिसमें तमाम स्थानीय लोगों के अलावा केदारनाथ धाम यात्रा से जुड़े लोगों ने भाग लिया। सभी लोगों का एक मत था कि बिना श्रद्धालुओं के केदारनाथ में पूजा कैसी। उनका कहना है कि तीर्थ पुरोहितों द्वारा केदारनाथ मंदिर क्षेत्र में पूजा का विशेष महत्व है और उनकी मौजूदगी के बिना केदारनाथ धाम की पूजा फलीभूत नहीं हो सकती। वहीं गुप्तकाशी में अधिकांश प्रदर्शनकारियों का कहना था कि क्षेत्र में आई आपदा के बाद केदारनाथ, गरूडचट्टी और रामबाड़ा आदि क्षेत्रों में स्थित उनके पुस्तैनी मकान व धर्मशालाएं ध्वस्त हो गए और वे बुधवार को होने वाली पूजा में शामिल होने के साथ ही अपनी सम्पत्ति को भी देखने जाना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं दे रही है। किसान सभा के अध्यक्ष गंगाधर नौटियाल ने कहा कि प्रदेश सरकार आलाकमान को खुश करने के लिए केदारनाथ में पूजा करवा रही है और स्थानीय लोगों के अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है। स्थानीय लोगों के आक्रोश को देखते हुए बुधवार को पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच संघर्ष को नकारा नहीं जा सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है यदि पुलिस और हमारे बीच संघर्ष हुआ तो इसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।
निशंक ने दी प्रदेश सरकार को चुनौती, कहा, समर्थकों के साथ पैदल से ही मार्ग से जाएंगे केदारनाथ
देहरादून, 10 सितम्बर, (राजेन्द्र जोशी)। उत्तराखंड सरकार द्वारा श्री केदारनाथ पूजा का नाटक जनता को रास नही आ रहा है और केदारनाथ धाम के पुरोहित पूजा का विरोध कर रहे हैं; यह पूजा कांग्रेस की पूजा होकर रह गयी है। आम जनता को केदारनाथ जाने से रोकना तथा परमिट सिस्टम करना इस बात का संकेत है कि सरकार इस क्षेत्र में लोगों को नही जाने देना चाहती है। इसके पीछे वहां पडी हजारों- हजार लाशें हैं जिनके बारे में सरकार किसी को जानकारी नही देना चाहती है। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता डा रमेश पोखरियाल ने भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि केदारनाथ की पूजा का विज्ञापन देकर सरकार ऐसा प्रचार कर रही है जिसे असंभव को संभव करने जैसा हो। सरकार जिस स्तर तक नीचे गिर गया है इसका अहसास भी नही किया जा सकता है। आज भी उक्त क्षेत्र में हजारों शव बिखरे हुए हैं और उनके बाद पूजा का प्रवंध करना अजीब लगता है। डा निशंक ने कहा कि सरकार की शीर्ष प्राथमिकता लोगों को बचाने की होनी चाहिए थी,लेकिन ऐसा नही हो पाया। प्रलय से डरकर जो लोग पहाडों की ओर जान बचाकर भागे उनको बचाने की जिम्मेदारी किसकी थी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने पहले ही कहा था कि जो लोग जान बचाकर पहाडों की ओर भागे,लेकिन सरकार ने जानकारी के बावजूद बचाने की पहल नही की। मुख्यमंत्री ने एक महिला जिसका परिवार केदारनाथ से गायब है और वह वहां जाने की जिद कर रही थी, उससे सीएम ने साफ कहा कि वहां पर चप्पे चप्पे पर छाना गया है और कोई नही है। अब लाशें मिल रही है और यह इस बात का संकेत है कि सरकार ने आपदा के बाद संजीदगी नही बरती है। तीन दिन में 185 शवों का मिलना इस बात का संकेत है कि यह वही लोग हैं जो कि जान बचाकर पहाडों की ओर भाग गये थे। आपदा के डेढ माह तक इनके जीवन मरण पर सरकार ने विचार नही किया और अब डर के मारे कर्फ्यू जैंसी स्थिति उत्पन्न की जा रही है। सरकार की संजीदगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुल 529 शवों में से 8 ही की शिनाख्त हो पाई है। चार स्थानों पर चौकियां स्थापित करना और फाटा में खडे लोगों को न जाने देना यह संकेत हे कि सरकार बहुत कुछ छिपा रही है। पूजा करने का कार्य वहां के पंडे और पुरोहितों का है,लेकिन सरकार उन लोगों को रोककर इसे कांग्रेस का कार्यक्रम बनाने पर तुली हुई है। मान्यता रही है कि जब कपाट बंद हो जाते हैं और यात्रा नही होती है तो तब गंधर्व पूजा होती है और यात्रा खुलने पर मानव पूजा होती है। कांग्रेस बतायें कि वह गंधर्व पूजा क्यों करवाना चाहती है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ की पूजा अब भी उखीमठ में चल रही थी और यदि केदारनाथ में पूजा आरंभ करनी थी तो तीन माह क्यों लगाया गया। उस समय साफ सफाई कर पूजा शुरू करायी जा सकती थी। पूर्व सीएम ने वहां के पुजारी परिवारों की चर्चा करते हुए कहा कि केदारनाथ के पुजारी अनुनय विनय कर रहे हैं कि उन्हें उनके घरों तक जाने दिया जाए। उनके मकानों में उनके परिवारों के लोग मृत पडे हुए हैं जिनका अंतिम संस्कार किया जाना है। डा निशंक ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार पर लोगों की हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। सरकार को इतनी मौतों का जवाब देना होगा। 5 हजार से अधिक नेपाली कहां हैं उनका आज तक कोई पता नही है। जिन लोगांे के शव मिल रहे हैं उन्होंने भी डेढ दो माह तक जीवन से संघर्ष किया। कितना दुर्भाग्य है कि पूजा का दावा कराने वाली सरकार तीन माह तक पैदल रास्ता तक नही बना पायी। डा निशंक ने कहा कि सरकार को पूजा प्रारंभ ही करानी थी तो पुरोहितों को न ले जाकर एक पाप क्यों किया । पूजा पुरोहितों का विशेष अधिकार है। उन्होंने सारे प्रकरण पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए कहा कि सरकार के मन में खोट है और सराकर ने राज्य को चौराहे पर खडा कर दिया है। फाटा में जिस तरह हजारों लोग रोके गये हैं उनको केदारनाथ ले जाने पर बल देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री स्वयं केदारनाथ जा रहे हैं। वह पैदल मार्ग से केदारनाथ जाएंगे और वहां जाने वाले श्रद्वालुओं को वहां तक ले जाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि केदारनाथ कोई प्रतिबंधित क्षेत्र नही है और ऐसे में वहां जाने से किसी को रोका नही जा सकता है।
आपदा के ज्ञापन धारचूला के एसडीएम ने कूड़े मे डाले, सूचना का अधिकार में हुआ खुलासा
- अपर जिला अधिकारी के यहां अपील दर्ज
पिथौरागढ़/देहरादून, 10 सितम्बर, (राजेन्द्र जोशी)। आपदा पर संजीदगी दिखाने वाली सरकार के आला अफसर कितने बेपरवाह है। इसका खुलासा सूचना अधिकार के अंतर्गत मांगी गई सूचना के बाद हुआ। धारचूला के उपजिलाधिकारी/लोकसूचना अधिकारी प्रमोद कुमार ने सूचना अधिकार पर उत्तर दिया कि अनुरोध पत्र में मांगी गई सूचना उसके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। आपदा के दौरान चुस्त प्रषासन का ढोल पिटने वाली उत्तराखंड सरकार के लिए यह पत्र केवल एक आईना है। भाकपा माले के जिला सचिव जगत मर्तोलिया ने लोक सूचना अधिकारी, उपजिलाधिकारी कार्यालय धारचूला में छह अगस्त को दो बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। लोक सूचना अधिकारी ने अनुरोध पत्र में मांगी गई सूचना पर यह उत्तर दिया है कि उसके कार्यालय में यह सूचना मौजूद नहीं है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपदा जैसे संवेदनषील मामलों में प्रषासन कितना सजग है। भाकपा माले के जिला सचिव जगत मर्तोलिया ने बताया कि आपदा प्रभावितों की समस्याओं से संबधित चार ज्ञापन अलग-अलग समय में उपजिलाधिकारी धारचूला को दिया गया था। इन ज्ञापनों पर जो कार्रवाई की गई उसके पत्रों की प्रतिलिपियां सूचना के अधिकार में मांगी गई थी लेकिन लोकसूचना अधिकारी ने यह जवाब दिया है कि उसके पास इस सूचना का कोई भी उत्तर उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि आपदा से संबधित ज्ञापनों पर प्रषासन का यह उत्तर इस बात को जाहिर करता है कि आपदा की आफत से राहत देने के मामले में जब एसडीएम ज्ञापनों को न अपने अधीनस्थ अधिकारियों कर्मचारियों को भेजते है और न ही अपने उच्चअधिकारियों को । जब प्रषासन का यह रूख है तो कैसे आपदा प्रभावितों की समस्याएं दूर हो सकती है। सूचना अधिकार ने इस बात का खुलासा कर दिया कि आप ज्ञापन देतें रहे लेकिन प्रषासन को अपने तरीके से ही कार्य करना है। आपदा के समय कई किलोमीटर पैदल चलकर आषा के साथ ज्ञापन देनेें वाले प्रभावित आज भी अपने द्वारा मांगी गई राहत के ज्ञापनों पर आस लगाए बैठे है कि उनकी कोई सुध लेगा। माले द्वारा लगाए गए सूचना अधिकार ने प्रषासनिक अधिकारियों की लापरवाही को उजागर कर दिया है। माले जिला सचिव ने बताया कि वह लोक सूचना अधिकारी के इस उत्तर के खिलाफ अपीलीय अधिकारी अपर जिला अधिकारी पिथौरागढ़ के समक्ष अपील दर्ज कर रहे है। उन्होनंे कहा कि यह एक गंभीर प्रषासनिक लापरवाही है। जब आपने ज्ञापनों को लेने के बाद उस पर कोई कार्रवाई का पत्र ही जारी नहीं किया है तो ऐसे प्रषासन से क्या उम्मीद कर सकते है। कहा कि कांग्रेस की प्रदेष सरकार की लापरवाही के चलते प्रदेष में आला अफसर मनमाने ढंग से कार्य कर रहे है। इस मामले को लेकर हम हर तरह की लड़ाई लड़ने को तैयार है। ताकि इस लापरवाही पर अंकुष लगाया जा सकें।
खनन में करोड़ों रूपये के घोटाले का आरोप लगाया
देहरादून, 10 सितम्बर, (राजेन्द्र जोशी)। हजारों करोड़ों के घोटाले का आरोप जन संघर्ष मोर्चा ने खनन भण्डारण केन्द्रों के माध्यम से लगाया है। मंगलवार को ईसी रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि न्यायालय द्वारा खनन पर प्रतिबंध से लेकर आज तक माफियाओं ने हजारों-करोड़ो रूपये का अवैध कारोबार किया। जिसमें प्रत्यक्ष रूप से जिला प्रशासन, खनिज विभाग, वन विभाग व पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा मापिफयाओं को खनन भण्डारण के साथ ही इन्हें उपखनिज को बेचने तक की अनुमति दी गयी। जबकि न्यायालय द्वारा दूनघाटी को पूर्णरूप से प्रतिबंधित किया हुआ है। उन्होंने कहा कि न्यायालय के प्रतिबंध से लेकर आज तक जिला प्रशासन/खनिज विभाग ने इन भण्डारण केन्द्रों मालिकों को सौ पृष्ठों वाली लगभग 2100 रवन्ना बुक जारी कर दी गयी तथा इन रवन्नों के माध्यम से माफियाओं ने पूरी रात तीन-तीन चक्कर उपखनिज बेचने के लिए लगाये गये व बड़ी मात्रा में अन्य माफियाओं द्वारा इनके देखा-देखी कई चक्कर लगाये गये जिससे आज तक लगभग 2.5 करोड़ घनमीटर उपखनिज का काला कारोबार किया गया। इस पूरे खेल में वन विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत रही है। उन्होंने कहा कि इस अवैध कारोबार में शामिल अधिकारियों व माफियाओं की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
जनता की आस्था के साथ ठेस केदारनाथ में पूजा: नौटियाल
देहरादून, 10 सितम्बर, (राजेन्द्र जोशी)। केदारनाथ में पूजा करवाना वहां की जनता की आस्था को ठेस पहंुचाना है, यह कहना है राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का। मंगलवार को परेड ग्राउण्ड स्थित एक रेस्टोरेंट में पत्रकारों से वार्ता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष दिव्य नौटियाल ने कहा कि प्रदेश में आयी आपदा ने सबको झकझोर कर रख दिया है। केदारघाटी में आयी इस तबाही पर सरकार राहत के नाम पर सिर्फ कोरे आश्वासन ही देती रही। सरकार आपदा के मोर्चे पर विफल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि रूद्रप्रयाग, चमोली व कुमाउं मंडल के जिलों के कई गांवों पर भू-स्खलन का खतरा मंडरा रहा है लेकिन सरकार वहां के लोगों की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। नौटियाल ने कहा कि आपदा प्रभावित जिलों में मूलभूत सुविधाओं से लोग अभी भी वंचित हैं। आपदाग्रस्त क्षेत्रा में लोग अभी भी टैंटों में रहने के लिए मजबूर हैं जबकि वहां ठण्ड शुरू हो चुकी है। सरकार की लापरवाही के चलते बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। दिव्य नौटियाल का कहना है कि इस समय आपदाग्रस्त लोगों को राहत देने की बजाय सरकार का मकसद केवल केदारनाथ में पूजा कराना ही रह गया है। वहां पर पूजा का फैसला वहां की जनता की आस्था को ठेस पहंुचाता है क्योंकि सरकार के नुमाइंदे तो हैलीकाप्टर से केदारनाथ जायेंगे जबकि स्थानीय लोगों को पैदल जाने से भी रोका जा रहा है। जिन लोगों ने आपदा के दौरान हजारों श्रद्धालुओं को अपने हिस्से का भोजन खिलाया, सरकार आज उनको ही भूखा रख रही है। इस दौरान नौटियाल ने बताया कि पार्टी की नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन कर दिया गया है। पार्टी का प्रदेश प्रभारी सांसद प्रो.डीपी त्रिपाठी को बनाया गया है। केएस वर्मा, कृपाल सिंह, चम्पी आर्या, वाईवी लिम्बू व सुरेन्द्र सिंह को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। हरीश सती, सुशील कुमार, मधु गेंद, राजीव सक्सेना को महासचिव, हरीश चन्द्र सती को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि महेन्द्र कौशल को कार्यालय सचिव बनाया गया है। उन्होंने बताया कि सचिव, संगठन सचिव आदि भी नियुक्त किये गये हैं।
जौलीग्राण्ट हवाईअड्डे को अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के रुप में घोषित करने की मांग
नई दिल्ली/देहरादून, 10 सितम्बर, (राजेन्द्र जोशी)। उत्तराखण्ड के खेल एवं नियोजन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने आज यहां नई दिल्ली में केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में उत्तराखण्ड की ओर से शिरकत करते हुए देहरादून के जौलीग्राण्ट हवाईअड्डे को अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के रुप में घोषित करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य को विमान ईंधन में 20 प्रतिशत का वैटभार वहन करना पड़ रहा है जिसे 4 प्रतिशत कर राज्य को राहत प्रदान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय प्रदेश होने तथा पर्यटन उद्योग पर मुख्य रुप से आश्रित होने के कारण उत्तराखण्ड में पन्तनगर को दिल्ली/लखनऊ से, पिथौरागढ़ को देहरादून/पन्तनगर से, चिन्यालीसौंण को देहरादून/दिल्ली से, वायु सेवाओं के माध्यम से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि यमुनोत्री जाने हेतु खरसाली, गंगोत्री जाने हेतु हरसिल, उत्तरकाशी, केदारनाथ, बद्रीनाथ, जोशीमठ/गोविन्दघाट, श्रीनगर ,तथा हेमकुण्ड जाने हेतु घंघरिया को हैलीकाप्टर सेवा के माध्यम से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य देश की विभिन्न विमानन कम्पनियों से राज्य में अपनी सेवायें प्रदान किये जाने हेतु लगातार सम्पर्क साध रहा है। उन्होंने दैवीय आपदा से निपटने के लिये केन्द्रीय उड्डयन मंत्रालय को सीधे छप्क्ड के समन्वय से आपदा राहत कार्यों हेतु क्षमता विकास का सुझाव दिया। केन्द्रीय मंत्री ने सभी समस्याओं को सुनने के पश्चात यथासंभव सहयोग का आश्वासन दिया। बैठक में अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा भी उपस्थित थे।
सवंदेनशील क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने के निर्देश
रूद्रपुर/देहरादून, 10 सितम्बर, (राजेन्द्र जोशी)। विगत दिनों उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में हुई घटना को देखते हुये आयुक्त कुमाऊँ मण्डल ए.एस. नयाल ने कलक्टेªट सभागार में जिले के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की तथा जनपद की कानून एवं व्यवस्था को दुरूस्त बनाये रखने के लिये अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये। उन्होंने जनपद में समान्य स्थिति बनाये रखने के लिये संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त बढाने के साथ ही थानों तथा मौहल्लों में अमन कमेटियों की बैठक करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पुलिस तथा जनताके बीच संवादहीनता नही रहनी चाहिये। उन्होंने किसी भी क्षेत्र में छोटी से छोटी घटना होने पर पुलिस व एलआईयू की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। आयुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिये आपसी सौहार्द बनाये रखने के लिये अमन समितियों की भी जानकारी रखी जाय। उन्होंने विभिन्न समुदायों के संम्भ्रान्त व्यक्तियों के बारे में जानकारी रखने के साथ ही उन्हें विश्वास में लेने की आवश्यकता बताई। आयुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि यूपी के मुजफ्फरनगर में हुई अप्रिय घटना के मद्देनजर जनपद में किसी प्रकार की घटना न हो इसके लिये अधिकारी पूरी तरह से चौकसी बरते। उन्होंने जनपद से मेरठव मुजफ्फरनगर आदि क्षेत्रों को सीधे जाने वाली बसों को अग्रिम आदेशों तक बन्द रखने की बात कही । उन्होंने कहा कि बसों अथवा टेªनों से एक साथ एक समुदाय के लोग यदि ज्यादा संख्या में आते जाते है तो उन पर नजर रखी जाय। आयुक्त ने कहा कि यदि किसी सार्वजनिक स्थलों आदि पर आपत्तिजनक साहित्य बंटता है तो उस पर पैनी नजर रखें ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हों। डीआईजी जीएन गोस्वामी ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वह संवदेनशील क्षेत्रों में विशेष चौकसी बरतें तथा जो दंगा नियन्त्रण योजना बनाई गई उसे सक्रिय रखें । उन्होंने निर्देश दिये कि जिले में जो मोैहल्ला सुरक्षा समितियों को पूरी तरीके से सक्रिय किया जाय। उन्होंने घार्मिक स्ािलों लगातार नजररखने के निर्देश भी दिये। बैठक में जिलाधिकारी बृजेश कुमार संत,एसएसपी रिद्धिम अग्रवाल,एएसपी यशवंत सिंह चौहान,अपर जिलाधिकारी निधि यादव व हरीश चन्द्र काण्डपाल सहित सभी उप जिलाधिकारी एवं पुलिस क्षेत्राधिकारी उपस्थित थें।
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