भाजपा नेता अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया है कि सरकार भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए सीबीआई, आईबी और एनआईए जैसी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है, क्योंकि उसने मान लिया है कि वह राजनीतिक रूप से मोदी का मुकाबला नहीं कर सकती।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने प्रधानमंत्री को लिखे 15 पन्नों के पत्र में कहा है कि कांग्रेस पिछले कुछ साल से मोदी और उनकी सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे अमित शाह पर निशाना साधती रही है। उन्होंने पत्र में लिखा कि कांग्रेस की घटती लोकप्रियता के दौर में उसकी रणनीति साफ है। कांग्रेस राजनीतिक तौर पर भाजपा और नरेंद्र मोदी का मुकाबला नहीं कर सकती। हार उनके चेहरे पर साफ नजर आती है। उन्होंने जांच एजेंसियों का दुरपयोग करके अब तक मोदी और उनके पूर्व गृह राज्यमंत्री अमित शाह को गलत तरह से फंसाने के अनेक तरीके अपनाने की कोशिश की है। जेटली ने 27 सितंबर को पत्र लिखा था, लेकिन भाजपा इस बारे में चुप थी क्योंकि प्रधानमंत्री अमेरिका यात्रा पर थे।
जेटली ने सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के दुरपयोग के लिए जो उदाहरण दिये हैं उनमें उन्होंने सोहराबुद्दीन शेख, तुलसी प्रजापति और इशरत जहां के साथ मुठभेड़ों के तीन मामलों का जिक्र किया है। उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि राजस्थान के पूर्व गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया को जांच एजेंसियों की भूमिका के कारण ही प्रजापति मुठभेड़ मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह राजस्थान के पूर्व लोक निर्माण विभाग मंत्री राजेंद्र राठौर का नाम स्थानीय माफिया दारा सिंह के साथ कथित फर्जी मुठभेड़ में आया था। जेटली ने पत्र में सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले में सीबीआई का संभावित उद्देश्य गुजरात के राजनीतिक तंत्र को फंसाने की कोशिश करना, भारत में शासन के संघीय चरित्र के ढांचे की अनदेखी करना था। सीबीआई ने मोदी को फंसाने के इरादे के साथ अमित शाह पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि सीबीआई ने शाह को गिरफ्तार किया था जबकि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य कोई सबूत नहीं था।
जेटली ने कहा सीबीआई ने सोहराबुद्दीन मामले के विस्तार के तौर पर प्रजापति मुठभेड़ का मामला रचा और शाह को केवल इस आधार पर फंसाया गया कि वह एक आईपीएस अधिकारी के साथ नियमित संपर्क में थे जिसे बाद में मामले में आरोपी बनाया गया।
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