चीन से लगे सीमांत इलाकों में भारतीय वायुसेना इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी सहूलियतें बढ़ा रही है। इसके तहत लद्दाख से लगे न्योमा वायुसैनिक अड्डे पर बड़े विमान और लड़ाकू विमान उतारने के लिए हवाई अड्डे को न केवल और मॉडर्न बनाने की तैयारी चल रही है बल्कि पुरानी वायुसैनिक पट्टियों को भी सक्रिय करने की एक योजना को सरकार ने मंजूरी दी है।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउन ने यहां कहा कि उत्तर पूर्व में चीन से लगे सीमांत इलाकों में छह सात हवाई पट्टियां (अडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड) हैं जिन्हें और आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने 720 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है। ये सभी अड्डे 2016 तक चालू हो जाएंगे। इन वायुसैनिक पट्टियों पर सी-130 जैसे परिवहन विमान उतारे जा सकेंगे। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्राउन ने कहा कि न्योमा वायुसैनिक अड्डे के विकास पर 2173 करोड़ रुपये का खर्च आएगा जो 2017 तक बन कर तैयार हो जाएगा। न्योमा वायुसैनिक अड्डा लद्दाख की चीन से लगी सीमा पर मात्र 23 किलोमीटर भीतर है।
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि न्योमा वायुसैनिक अड्डे पर तीन साल पहले ए एन-32 विमान पहली बार उतारा गया था और इसके बाद उसके विकास के लिए वायुसेना ने प्रस्ताव किया था। न्योमा वायुसैनिक अड्डे के पूरी तरह बन जाने के बाद वहां से कोई भी लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर और परिवहन विमान उड़ान भर सकते हैं। न्योमा वायुसैनिक अड्डा 13 हजार फीट की ऊंचाई पर है जब कि दौलत बेग ओल्दी हवाई अड्डा 16 हजार फीट पर है जहां कुछ महीने पहले सी-130 हर्कुलस विमान उतारा गया था। दौलत बेग ओल्दी देपसांग घाटी के नजदीक है जहां हाल में चीनी सेना ने घुसपैठ की थी। ब्राउन ने कहा कि चीन के साथ सीमा रक्षा सहयोग समझौता करने पर भी बातचीत चल रही है जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2 अक्टूबर को होने वाले चीन दौरे में अंतिम रूप दिया जाएगा। ब्राउन ने उम्मीद जाहिर की कि इस समझौते से एलएसी पर दोनों सेनाएं एक दूसरे की स्थिति को बेहतर समझ सकेंगी और वहां शांति व स्थिरता बनी रहेगी। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बने रहना न केवल भारत बल्कि चीन के भी हित में है।
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