- खेती-बाड़ी और रोजगार ने बनाया ग्राम्य जीवन को खुशहाल
नदी-नालों और झरनों के बाहुल्य वाले पहाड़ियों से भरे प्रतापगढ़ अंचल में सिंचाई सुविधाओं के आधुनिक आयामों ने कई इलाकों में साल भर पानी और हरियाली बनाए रखने के ढेरों प्रबन्ध सुनिश्चित किए हैं। इनमें कई बड़े-छोटे बाँध और एनिकट ऎसे हैं जिनमें अपार जलराशि लम्बे समय तक बनी रहती है।
परंपरागत रूप से बरसाती पानी पर निर्भर रहते आये कृषि और पशुपालन क्षेत्र को विकसित तथा विस्तारित करने की दिशा में इन सिंचाई संसाधनों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रतापगढ़ जिले में सिंचाई प्रबन्ध वाले इलाकों में अब साल भर हरियाली रहने लगी है, फसलें ली जाने लगी हैं।
जिले में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की दृष्टि से अरनोद पंचायत समिति अन्तर्गत बनेड़िया कला में स्थित चाचाखेड़ी सिंचाई परियोजना ग्राम्य खुशहाली का सशक्त जरिया बनकर उभरी है। वीरावली से बनेड़िया कला की ओर जाते समय रास्ते में विशाल जलाशय नज़र आता है जिसमें अथाह जलराशि समायी हुई है।
इस परियोजना से निकलने वाली माईनर गंधेर, चाचाखेड़ी आदि क्षेत्रों को सरसब्ज बना रही है। इससे वीरावली, बनेड़िया कला, गोपालपुरा, मण्डावरा, चाचाखेड़ी तथा आस-पास के कई इलाकों को न्यूनाधिक रूप में लाभ प्राप्त हो रहा है। करीब चार मीटर गहरे और दूर-दूर तक पसरे हुए इस जलाशय में अथाह जल भराव की वजह से सिंचाई सुविधाओं का विस्तार तो हुआ ही है, खेतों के लिए सिंचाई हेतु जल की उपलब्धता बनी रहने लगी है वहीं क्षेत्र भर में परंपरागत कूओं-बावड़ियों में साल भर पानी रहने लगा है तथा भूजल स्तर में बढ़ोतरी हुई है।
अब परंपरागत फसलों के साथ ही सोयाबीन, चना, गेहूं, उड़द, सरसों, मसूर आदि की फसलें ली जाने लगी हैं वहीं सब्जियों में तुरई, भिण्डी, मिर्ची आदि का उत्पादन भी बढ़ा है। साल भर किसी न किसी फसल के लहलहाने से अब पशुओं के लिए चारे की भी कोई समस्या नहीं रही है तथा पशुचराई का विस्तृत क्षेत्र उपलब्ध है।
इस जलाशय की बदौलत लोक जीवन और ग्राम्य परिवेश में सकारात्मक बदलाव भी देखा जा रहा है। पहले जहाँ क्षेत्र के लोग काम-धंधों के लिए बाहर जाया करते थे लेकिन अब पलायन पर अंकुश लगा है। पशुपालन में बढ़ोतरी की वजह से डेयरी उद्योग को भी संबल प्राप्त हुआ है।
ग्रामीण काश्तकार मन्नालाल बताते हैं कि जलाशय के कारण न सिर्फ कृषि और पशुपालन में नए आयाम स्थापित हुए हैं बल्कि स्कूलों में भी नामांकन बढ़ा है। जलाशय ने मछली पालन को भी बढ़ावा दिया है। हर साल इसमें भारी मात्रा में मत्स्य उत्पादन भी होता है। दूर-दूर तक फैला हुआ यह समंदर हर किसी को सुकून दे रहा है।
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बनेड़िया कला के प्रधानाध्यापक शाकिर हुसैन कहते हैं कि इस जलाशय ने क्षेत्र की तस्वीर बदल डाली है। इससे ग्रामीणों में समृद्धि आयी है और ग्राम्य जनजीवन खुशहाल हुआ है। क्षेत्र के बुद्धिजीवियों संजय मेहता, मंगलसिंह मीणा और शोभागसिंह हाड़ा के अनुसार हाल के वर्षों में यह क्षेत्र तेजी से सरसब्ज हुआ है और इससे सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि अंचल में शैक्षिक चेतना के साथ विकास के लिए जागरुकता का व्यापक संचार हुआ है और ग्राम्य विकास की गतिविधियों में ग्रामीणों की रुचि तथा भागीदारी बढ़ने लगी है।
---डॉ. दीपक आचार्य---
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी
प्रतापगढ़
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