फैक्स करके राशन-किरासन नहीं मिलने की गयी शिकारत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

फैक्स करके राशन-किरासन नहीं मिलने की गयी शिकारत

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बोधगया। पहले आक्रोश व्यक्त कर कहा जाता था कि ‘प्रधानमंत्री को भेज दो तार नहीं हो रहा है गरीबों का उद्हार’। वह भेजने वाला तार (टेलीग्राम) 15 जुलाई,2013 से बंद हो गया। अंत-अंत तक प्रधानमंत्री के नाम से ही तार भेजा गया। सामाजिक कार्यकर्ता वशिष्ठ कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री के पास टेलीग्राम भेजा है। गत वर्ष प्रधानमंत्री ने मुफ्त दवा मुहैया करने का वादा किया था। वह आज तक पूरा नहीं हुआ है इसी के संदर्भ में टेलीग्राम किया है। उसी की तर्ज पर अतिया ग्राम पंचायत के आनंदगढ़ टोले के लोग तार के बदले फैक्स भेजा है। अपनी समस्याओं के निराकरण करने के लिए मगध प्रमंडल के प्रमंडलीय आयुक्त और गया जिले के जिलाधिकारी को फैक्स भेजा है। मगध प्रमंडलीय आयुक्त को 2221641 और गया जिले के जिलाधिकारी 2223561 का फैक्स नम्बर है। फैक्स भेजने वालों में प्रमिला देवी, बसंती देवी रामस्वरूप मांझी, विजय मांझी सहित 42 महादलितों का हस्ताक्षर है। 

मगध विश्वविघालय थानान्तर्गत अतिया टोला,आनंदगढ़ में समाज के किनारे ठहर गये महादलित मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। महादलित भूईयां जाति के लोगों का कहना है कि हम लोगों की जनवितरण प्रणाली दुकान के दुकान जयप्रकाश पासवान हैं। जो खजवंती के गणेशचक टोले में रहते हैं। इस समय सितम्बर और अक्तूबर माह के दौरान मुसहर समुदाय भूखे मरने के कगार पर पहुंच गये हैं। ऐसी स्थिति में जनवितरण प्रणाली की दुकान से अनाज का वितरण नहीं हो रहा है। काफी मशक्कत करने के बाद गिने-चुने ही लोगों को दस किलोग्राम अनाज दे दिया जाता है। शेष अन्य लोगों को चार माह के बाद एक बार अनाज दिया जाता है। जिसमें 10 से 20 किलोगा्रम अनाज देता है। अल्प अनाज देने के बाद भी दुकानदार सभी कूपन को फाड़कर रख लेता है।

प्रगति ग्रामीण विकास समिति के बोधगया प्रखंड के कार्यकर्ता बच्चू मांझी ने कहा कि महादलित मुसहर समुदाय की स्थिति सितंबर और अक्तूबर माह दरम्यान खराब हो जाती है। गांवघर में महादलित खेतीहर मजदूर होते हैं। जुलाई माह में रोपनी और अगस्त माह में सोहनी करते हैं। इसके बाद खेतीहर मजदूरों को सितंबर और अक्तूबर माह के दरम्यान काम मिलना बंद हो जाता है।  झुण्ड बनाकर नदी-नाले में जाकर मछली मारते हैं। बरसात के बाद जगह-जगह भ्रमण करके घोंघा,सितुहा,मेढ़क,चूहा आदि पकड़ते हैं और उसका आहार किया करते हैं। उस समय आफत में पहुंच जाते हैं जब घर में एक छटांक अनाज नहीं है और जनवितरण प्रणाली की दुकान अनाज नहीं देने में बहादुरी दिखाते हैं। इस वक्त महाजनों के रावणी हाथ के शिकंजे में महादलित फंस जाते हैं। कुछेक तो कर्ज के बोझ में बंधुआ मजदूर बनने को बाध्य हो जाते हैं। काफी परेशानी झेलने के बाद नवम्बर माह से धान कटनी शुरू हो जाती है। तब जाकर घर परिवार में दुःख के बादल छटने लगता है। 

सामाजिक कार्यकर्ता अजय मांझी कहते हैं कि सरकार ने हरेक पंचायत में एक क्विटंल अनाज का भंडारण करवाया है। यह भंडारण पंचायत के मुखिया के पास रहता हैं जो आफत में आए परिवारों को भूख से नहीं मरने देने के लिए अनाज देता है। बावजूद, इसके सितंबर माह में भूख से दो इंसान की मौत हो गयी है। एक सहरसा जिले के सौर बाजार प्रखंड में और द्वितीय गया जिले के बोधगया प्रखंड में भूख से मरने की खबर है। 



(आलोक कुमार)
पटना 

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