भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि वामपंथी पार्टियों को छोड़कर अन्य सभी पार्टियों के नेता चारा घोटाले में शामिल रहे हैं. घोटाले का पूरा आरोप राजद नेता लालू प्रसाद पर भले ही लगा हो लेकिन इस घोटाले में लालू प्रसाद के साथ-साथ कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र, भाजपा के तत्कालीन विधायक ध्रुव प्रसाद, जदयू सांसद जगदीश शर्मा भी दोषी करार दिये गये हैं. इससे साफ हो गया है कि इस घोटाले में सामूहिकता रही है. केंद्र की तत्कालीन एनडीए सरकार ने सीबीआई का इस्तेमाल कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जदयू सांसद शिवानंद तिवारी और ललन सिंह को बचाने का काम किया है.
श्री भट्टाचार्य मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि देश उन तमाम नेताओं को इसी प्रकार से सजायाफ्ता देखना चाहता है, जो राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और राष्ट्रीय संसाधनों की भारी लूट के जिम्मेदार हैं. चारा घोटाले की सीबीआई जांच ने कुछ और ताकतवर राजनैतिक नामों को उजागर किया है. इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिवानंद तिवारी और ललन सिंह शामिल हैं, लेकिन सभी को आश्चर्यजनक तरीके से छोड़ दिया गया है.
कानून और न्याय प्रक्रिया को चयनात्मक, आंशिक और पक्षपाती नहीं होना चाहिये. सांप्रदायिक दंगों, जाति आधारित जनसंहारों और फर्जी मुठभेड़ों के मास्टर माइंड के प्रति भी न्यायपालिका ऐसी ही सख्ती से पेश आये. भट्टाचार्य ने कहा कि देश में उदारीकरण और निजीकरण की नीति के कारण भ्रष्टाचार बढ़ा है. 950 करोड़ रुपये का चारा घोटाला भले ही उस समय का सबसे बड़ा घोटाला था, लेकिन आज इससे बड़े-बड़े घोटाले हो रहे हैं.
चारा घोटाले में लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र दोषी करार दिए गये हैं. इसलिए टूजी और कोलगेट घोटाले में प्रधानमंत्री पर आरोप गठित होना चाहिये. उन्होंने बिहार में एसीडीसी बिल घोटाले, बिहार भूमि आवंटन आदि की जांच भी सीबीआई से कराने की मांग की है. उन्होंने एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि लालू प्रसाद की राजनीति का क्या होगा, यह तो चुनाव में पता चलेगा. परंतु उनके जनाधार में लगातार गिरावट आयी है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राइट टू रिजेक्ट पर दिए गये निर्णय का स्वागत करते हुए राइट टू रिकॉल की व्यवस्था करने की भी मांग की. कार्यकर्ता सम्मेलन तीन को भट्टाचार्य ने कहा कि भाकपा माले का राज्यस्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन तीन अक्टूबर को पटना में होगा. इसमें सभी जिला कमेटियों के सदस्य, प्रखंड सचिव और शाखा सचिव भाग लेंगे. सम्मेलन में 30 अक्टूबर को गांधी मैदान में आयोजित होने वाली अधिकार रैली की तैयारी की समीक्षा की जायेगी. मीडिया से बातचीत करते दीपंकर भट्टाचार्य.
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