केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा है कि गृह मंत्री के रूप में उनके द्वारा कश्मीर पर शुरू की गई पहल आगे बढ़ाई जानी चाहिए। चिदंबरम ने मंगलवार शाम श्रीनगर स्थित जम्मू एंड कश्मीर बैंक के प्लेटिनम जयंती समारोह में कहा, ''मुझे उम्मीद है कि वार्ताकारों की रपट और सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल द्वारा उठाए गए कदमों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि इस तरह की पहलें आगे भी की जाएंगी।''
कश्मीर समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने 2010 में तीन वार्ताकारों की नियुक्ति की थी। माना जाता है कि यह कदम चिदंबरम की पहल से उठाया गया था। दिलीप पडगांवकर, राधा कुमार और एम.एम.अंसारी को 2010 की गर्मियों में कश्मीर घाटी में जारी अस्थिरता के बीच वर्ताकार नियुक्त किया गया था। यहां सुरक्षा बलों एवं प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में 110 लोगों की मौत हो गई थी।
संसद के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने भी तनाव समाप्त करने के लिए 2010 में कश्मीर का दौरा किया था। चिदंबरम ने कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों की संख्या घटाने की संभावना बरकरार है और सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (एएफएसपीए) में संशोधन की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा, ''हम सभी मसलों को सुलझाने का दावा नहीं करते। एएफएसपीए में संशोधन का काम जारी है और मुझे इसमें संशोधन की अभी भी उम्मीद है।'' उन्होंने स्वीकार किया कि कश्मीर में ऐसी ताकतें सक्रिय हैं, जो नियंत्रण से बाहर हैं और राज्य की पहुंच उनतक नहीं है। उन्होंने आशा जाहिर की कि कश्मीरी युवाओं को हिंसा की निर्थकता का अहसास हो गया है।
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