प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंगलवार शाम अमेरिका यात्रा से स्वदेश लौट आए। उन्होंने दागी जनप्रतिनिधियों के सरकारी अध्यादेश के मसले पर इस्तीफे से इंकार कर दिया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि अध्यादेश पर वे राहुल से बात करेंगे। प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी की टिप्पणियों पर कहा, यह पता करने की कोशिश करेंगे कि ऎसा क्यों हुआ। उन्होंने कहा कि इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता। प्रधानमंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को एकजुट होना चाहिए।
सिंह ने संकेत दिया कि सरकार अध्यादेश पर फिर से विचार कर सकती है, जब उन्होंने कहा कि वह राहुल के साथ इस मामले पर विचार करेंगे. राहुल इस अध्यादेश की वापसी चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘किसी के जहन को बदलना हमेशा मुमकिन होता है.’ प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने से इनकार करने का यह मसला विपक्षी पार्टियों के तानों और उलाहनों के बाद उठा है. अध्यादेश के मामले पर सरकार पर हमलावर रुख अपनाते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि अध्यादेश पूरी तरह बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए, जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने इसे प्रधानमंत्री का अपमान, उनके अधिकार को चुनौती देना बताया था, वह भी तब जब वह विदेश यात्रा पर थे.
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि वह आसानी से परेशान नहीं होते और कहा कि वह इस बात का कारण ढूंढने की कोशिश करेंगे कि राहुल गांधी ने सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी क्यों की और अगर की तो ‘इस तरह क्यों की.’ उन्होंने कहा, ‘लोग जो कहते हैं मैं उसे रोक नहीं सकता. यह हुआ है और जैसा मैंने कहा कि मैं जब वापस जाउंगा तो यह पता लगाने का प्रयास करूंगा कि इस तरह से ऐसा क्यों हुआ और हम इससे कैसे निपटें.’ राहुल गांधी बुधवार सुबह प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले हैं. कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक भी बुधवार को होने वाली है, जिसके बाद सिंह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने जाएंगे, जो दोपहर को विदेश यात्रा पर रवाना होने वाले हैं. दिन में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक भी होनी है. प्रधानमंत्री का इस्तीफा देने से यह बेलाग इनकार विपक्षी दलों द्वारा की जा रही उनके इस्तीफे की मांग के बाद आया है.
विपक्षी दलों का कहना है कि राहुल ने सरकार पर जो कठोर प्रहार किया है वह प्रधानमंत्री का अपमान और उनकी सत्ता को कम करके आंकना है, खास तौर से वह भी तब जब वह विदेश यात्रा पर हैं. सिंह ने कहा कि वह राहुल के साथ इस मामले पर विचार करेंगे और ‘किसी के जहन को बदलना हमेशा मुमकिन होता है.’ उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर अपने केबिनेट के सहयोगियों को भी विश्वास में लेंगे.
सिंह ने कहा कि जन प्रतिनिधियों को तुरंत अयोग्यता से बचाने वाले अध्यादेश पर उच्च स्तर पर, दो बार केबिनेट में और कांग्रेस कोर ग्रुप में विचार हुआ था. उन्होंने अपने एक पूर्व वक्तव्य का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैंने कहा था कि मैं इन तमाम मामलों को अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के सामने रख दूंगा. यह ऐसे मामले हैं, जिनपर पहले भी कांग्रेस पार्टी के कोर ग्रुप में विचार हो चुका है. केबिनेट ने इसपर एक बार नहीं दो बार विचार किया है.’ उनकी सात दिन की विदेश यात्रा के दौरान देश में उठे विवाद के तूफान से अविचलित प्रधानमंत्री ने ठहरे हुए अंदाज में कहा, ‘मुझे इस तरह के उतार चढ़ाव की आदत है.’
विवाद के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह हर बात के लिए तैयार रहते हैं और कहा, ‘मैं जल्दी परेशान नहीं होता, तब भी नहीं जब आप सवाल पूछते हैं.’ राहुल ने गत 27 सितंबर को अध्यादेश को सार्वजनिक तौर पर बकवास बताया था. सिंह ने कहा, ‘मैंने राहुल गांधी का बयान देखा है. उन्होंने इस बारे में मुझे लिखा भी था और मैं कहना चाहता हूं कि जब लोकतंत्र में मुद्दे उठाए जाते हैं तो लोकतांत्रिक ढंग से शुरुआत करके संबद्ध व्यक्तियों के मन को उद्वेलित करने वाली बात को समझना होता है.’ उन्होंने कहा, ‘जब मैं वापस जाउंगा तो राहुल गांधी के साथ इन मामलों पर विचार करूंगा. उन्होंने मुझसे मिलने को कहा है और मैं अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों को भी विश्वास में लूंगा. हम देखेंगे कि हवा किस ओर बहती है.
सिंह से पूछा गया था कि क्या किसी व्यक्ति, चाहे वह पार्टी में कितना भी वरिष्ठ क्यों ना हो, उसे मंत्रिमंडल और कोर समूह के निर्णयों को क्षति पहुंचाने का मौका होना चाहिए और क्या उनके प्राधिकार को कमजोर किया गया है.’ उन्होंने जवाब देते हुए कहा, ‘नहीं, मैं इस तरह से नहीं सोचता. मैं ईमानदारी से महसूस करता हूं कि यदि कोई महत्वपूर्ण विचार है तो कांग्रेस पार्टी को कोई भी सदस्य, मेरे मंत्रिमंडल के किसी भी सदस्य को उन मुद्दों को उठा सकता है और मुद्दों पर पुनर्विचार की मांग कर सकता है. मेरा मानना है कि यही लोकतंत्र है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि हमारा एक तानाशाही ढांचा है जिसमें एक व्यक्ति कोई भी खाका निर्धारित करता है और इसलिए मेरी विनम्र भावना है कि जब कोई विचार बिंदु व्यक्त किया जाता है तो हमें मिल बैठकर इस पर विचार करना चाहिए कि व्यक्ति के मस्तिष्क में क्या चल रहा है जिसने इस मुद्दे को उठाया है और हम यही करेंगे.’ नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ प्रधानमंत्री ने कहा कि इनका सामना करने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश के लोगों को साम्प्रदायिक ताकतों का साथ नहीं देना चाहिए.
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