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गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

कैश फॉर वोट मामले में आदेश सुरक्षित.

दिल्ली की एक अदालत ने समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह और दो भाजपा सांसदों की संलिप्तता वाले वर्ष 2008 के वोट के लिए नोट घोटाले में आरोप तय करने के मामले में अपना फैसला आज सुरक्षित रख लिया। विशेष न्यायाधीश नरोत्तम कौशल आरोप तय करने के संबंध में अपना फैसला 19 अक्टूबर को सुनाएंगे। आरोप तय करने के लिए हुई बहस में अमर सिंह ने खुद को मामले से यह कहते हुए बरी किए जाने की मांग की कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि उन्होंने वर्ष 2008 में लोकसभा में विश्वास मत के पहले नोट के बदले भाजपा सांसदों को क्रास वोटिंग के लिए प्रेरित किया था। 
    
अगस्त 2011 में दाखिल अपने पहले आरोपपत्र में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अमर सिंह और भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधीन्द्र कुलकर्णी ने 22 जुलाई, 2008 को लोकसभा में विश्वास मत से पूर्व कुछ सांसदों को वोट के बदले नोट देने की साजिश रची थी। अमर सिंह और कुलकर्णी के अलावा, भाजपा सांसद अशोक अर्गल और फग्गन सिंह कुलस्ते तथा पूर्व सांसद महाबीर सिंह भगोरा, अमर सिंह के पूर्व सहायक संजीव सक्सेना तथा भाजपा कार्यकर्ता सोहेल हिंदुस्तानी मामले में आरोपी हैं। घोटाले की जांच करने वाली संसदीय समिति की सिफारिशों पर वर्ष 2009 में इस संबंध में मामला दर्ज कराया गया था। 
    
सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आपराधिक साजिश के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले पर बहस के दौरान पुलिस ने आरोपियों के इन दावों को खारिज कर दिया कि यह एक स्टिंग ऑपरेशन था और कहा कि इस दलील को संसद की जांच समिति द्वारा भी स्वीकार नहीं किया गया है। 
    
अर्गल, कुलस्ते ,भगौरा ने पूर्व में दावा किया था कि 22 जुलाई 2008 के विश्वास मत से पूर्व यह संसद में खरीद फरोख्त का भंडा फोड़ करने के लिए किया गया था। इससे पूर्व, समाजवादी पार्टी सांसद रेवती रमन सिंह को भी निचली अदालत ने मामले में आरोपी बनाया था, जिसमें कहा गया था कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि वह भी कथित आपराधिक साजिश का हिस्सा थे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने हालांकि सिंह को मामले में आरोपी बनाए जाने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था।

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