सरकार ने सीबीआई के गठन को असंवैधानिक बताने वाले गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले को जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। दरअसल, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उस प्रस्ताव को रद्द कर दिया है, जिसके तहत सीबीआई का गठन किया गया था। कोर्ट ने जांच एजेंसी की सभी कार्रवाई को भी असंवैधानिक करार दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि अपराध की जांच करने वाली ऐसी एजेंसी, जिसके पास पुलिस बल की शक्तियां हों, उसकी स्थापना केवल एक कार्यकारी निर्देश के जरिये नहीं की जा सकती। साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम 1 अप्रैल 1963 के उस प्रस्ताव को खारिज करते हैं, जिसके तहत सीबीआई की स्थापना की गई है। सीबीआई दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैबलिशमेंट यानी डीएसपीई का अंग नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि डीएसपीई कानून 1946 के तहत गठित एक पुलिस बल के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई का गठन निश्चित जरूरत को पूरा करने के लिए कुछ समय के लिए किया गया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के गठन संबंधी गृह मंत्रालय का प्रस्ताव न तो केन्द्रीय कैबिनेट का फैसला था और न ही राष्ट्रपति की स्वीकृति का कोई कार्यकारी आदेश। ऐसे में इस प्रस्ताव को सिर्फ विभागीय निर्देश ही माना जा सकता है। उसे कानून के रूप में नहीं बदला जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि मामला दर्ज करने, आरोपियों को गिरफ्तार करने और तलाशी लेने जैसी सीबीआई की कार्रवाई संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है और इसे असंवैधानिक करार देना चाहिए।
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