कांग्रेस चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों से जुड़ी टेलीविजन चर्चाओं में अपने प्रवक्ता को नहीं भेजेगी, क्योंकि पार्टी ने ऐसी प्रक्रियाओं को पूर्व में त्रुटिपूर्ण और निहित स्वार्थों द्वारा किया गया जोड़तोड़ करार दिया था। सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने टेलीविजन पर जाने वाले अपने नेताओं एवं प्रवक्ताओं से कहा है कि ऐसी पैनल चर्चाओं में नहीं जायें जो जनमत सर्वेक्षणों के परिणामों को कवर करते हैं।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि हमने जनमत सर्वेक्षणों पर होने वाली चर्चाओं से अपने को अलग कर लिया है, क्योंकि हमारा उन पर भरोसा नहीं है। हम इस मामले में चुनाव आयोग के मत से सहमति जता चुके हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मीडिया विभाग ने पार्टी के सभी प्रवक्ताओं और पैनलिस्टों को जनमत सर्वेक्षण कार्यक्रमों से दूर रहने के दिशानिर्देश से अवगत करा दिया है।
चुनाव आयोग को 30 अक्टूबर को भेजे लिखित जवाब में कांग्रेस ने कहा था कि वह आयोग के इस विचार का पूरी तरह से अनुमोदन करती है कि चुनाव के समय जनमत सर्वेक्षण के प्रकाशन एवं प्रसार पर पाबंदी होनी चाहिए। पार्टी ने कहा था कि जनमत सर्वेक्षण न तो वैज्ञानिक होते हैं और न ही इस तरह के सर्वेक्षणों में कोई पारदर्शी प्रक्रिया होती है। चुनाव आयोग ने पिछले माह जनमत सर्वेक्षण पर प्रतिबंध लगाने के मामले में राजनीतिक दलों से राय मांगी थी। इससे पहले सरकार ने उससे इस मामले में नये सिरे से विचार विमर्श करने को कहा था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें