देश का पहला मंगलयान बुधवार तड़के पृथ्वी की अंतिम कक्षा में पहुंच गया. यहां से मंगलयान रविवार को सूर्य की कक्षा की ओर रवाना होगा. मंगल ग्रह पर पहुंचने में इस मंगलयान को नौ महीने (280 दिन) लगेंगे.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "मंगलयान बुधवार को तड़के पृथ्वी की कक्षा के सबसे नजदीक से गुजरा (भूमध्य रेखा के सबसे नजदीक) और इसने पृथ्वी के चारो तरफ सुबह 7.10 बजे परिक्रमा करनी शुरू कर दी. यह अगले चार दिनों तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा, तथा रविवार को मध्यरात्रि के करीब 12.49 बजे मंगल की ओर रवाना होगा."
इसरो के सचिव वैज्ञानिक वी. कोटेश्वर राव ने शहर में स्थित इसरो के दूरमापी, निगरानी एवं नियंत्रण केंद्र में पत्रकारों को बताया, "मंगलयान को मंगल की ओर रवाना करने के लिए 648 मीटर प्रति सेकेंड का वृद्धिशील वेग प्रदान करने के लिए 440 न्यूटन तरल इंजन को 23 मिनट तक जलाया जाएगा. इसमें 190 किग्रा ईंधन की खपत होगी."
शहर में स्थित इसी केंद्र से मंगलयान के पृथ्वी से जुड़े चरण का संचालन किया जाएगा. सब कुछ ठीक रहा तो मंगलयान मंगल की ओर रवाना होने के दौरान सूर्य की कक्षा में 68 करोड़ मील के अंतग्र्रहीय मार्ग से गुजरेगा.
देश का पहला मंगलयान बंगाल की खाड़ी में स्थित अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र श्रीहरिकोटा से पांच नवंबर को 350 टन के रॉकेट की मदद से छोड़ा गया. देश के इस पहले मंगलयान पर कुल 450 करोड़ की लागत आएगी, जो विश्व में सबसे किफायती मंगल अभियान है.
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