अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2009 में पाकिस्तान से गोपनीय ढंग से वादा किया था कि अगर वह लश्कर-ए-तैयबा तथा तालिबान जैसे आतंकवादी गुटों का समर्थन बंद कर दे तो वह भारत पर कश्मीर के बारे में समझौता वार्ता के लिए दबाव बनाएंगे लेकिन पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था जिससे उन्हें निराशा हुई थी।
पाकिस्तान 1950 के दशक से ही अमेरिका पर दक्षिण एशिया में उसकी भूमिका के लिए दबाव बनाता रहा है किन्तु जब उसके सामने प्रस्ताव आया तब उसने उसे स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान को भारत के साथ सीधी वार्ता शुरू करनी पडी। यह बात पाकिस्तान के अमेरिका स्थित भूतपूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने अपनी पुस्तक .. मैगनीफिसेन्ट डिल्यूजन.. में लिखी है।
यह पुस्तक आज बाजार में बिक्री के लिए जारी की गई पुस्तक में 300 पृष्ठ है। राष्ट्रपति ओबामा ने यह बात पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को लिखे एक गोपनीय पत्र में कही थी। यह पत्र राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल जेम्स जोन्स ने व्यक्तिगत रप से श्री जरदारी को दिया था लेकिन पत्र की बातें पहली बार सामने आई हैं। पुस्तक में 300 पृष्ठ हैं। जनरल जोन्स नवंबर 2009 में इस्लामाबाद जरदारी को पत्र देने के लिए गए थे।
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