विश्व के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंदुलकर की क्रिकेट के प्रति दीवानगी से तो सभी परिचित हैं, लेकिन तेंदुलकर की सामाजिक हित के कार्यो के प्रति लगाव से लगभग सभी अनजान ही हैं। इसका कारण है तेंदुलकर का बिना शोर-शराबा किए कार्य करने की शैली। क्रिकेट में भी तेंदुलकर को सभी बोलकर नहीं बल्कि बल्ले से जवाब देने वाले खिलाड़ी के रूप में जानते हैं।
तेंदुलकर के करीबी एवं सीएबी के एक पूर्व अधिकारी समर पाल ने बताया कि तेंदुलकर संन्यास के बाद अपना अधिक से अधिक समय वंचितों की सहायता करते हुए व्यतीत करना चाहते हैं। इससे पहले भी वह सामाजिक कार्यो में काफी रुचि लेते थे, लेकिन क्रिकेट के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के कारण वह इसके लिए अधिक समय नहीं निकाल पाते थे।
पाल ने कहा, "सचिन को सामाजिक कार्यो में खेल से भी अधिक रुचि है। वह हमेशा वंचितों के बारे में चिंतित रहते हैं, और अब वह अपना अधिक से अधिक समय सामाजिक कार्य करते हुए व्यतीत करेंगे।" सस्ती लोकप्रियता से दूर तेंदुलकर अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़े रहे हैं, जिसमें मुंबई के गैर सरकारी संगठन अपनालय के जरिए प्रत्येक वर्ष 200 वंचित तबके के बच्चों का प्रायोजक बनना शामिल है।
तेंदुलकर ने क्रिकेट से इतर एक टीवी कार्यक्रम में 12 घंटे धैर्यपूर्वक स्कूली बच्चों के सवालों का जवाब देते हुए उनकी सहयता के लिए सात करोड़ रुपये जुटाने में भी सहायता कर चुके हैं। तेंदुलकर का मानवीय पहलू तब भी दिखाई दिया था जब उन्होंने अंडर-17 श्रेणी में अपने साथ खेल चुके पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी दलबीर सिंह गिल के इलाज का पूरा खर्च वहन किया था।
तेंदुलकर से अपने 25 वर्ष पुराने संबंध का जिक्र करते हुए पाल ने कहा कि तेंदुलकर जब भी कोलकाता आए बिना उनके घर बंगाली व्यंजनों का स्वाद लिए नहीं गए। इस बार भी यह सिलसिला नहीं टूटेगा, क्योंकि पाल तेंदुलकर के लिए स्वादिष्ट बंगाली व्यंजन भेजेंगे। पाल ने कहा, "अब वह 10 वर्ष पहले की तरह भले नहीं खाते हों, लेकिन मैं अभी भी उन्हें रोज उनके पसंददीदा पकवान भेजूंगा।"
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