यौन हमले के आरोपी तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल की अंतरिम जमानत गोवा की एक अदालत ने शनिवार सुबह 10 बजे तक बढ़ा दी, जबकि बचाव पक्ष के वकील का कहना था कि पीड़िता ने मामले को रचा है और पुलिस राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रही है।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुजा प्रभुदेसाई ने अदालत में सार्वजनिक तौर पर पीड़िता का नाम लेने पर तेजपाल की वकील को जमकर फटकार लगाई। शुक्रवार दोपहर को डेढ़ घंटे के दौरान भी अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों के अपनी बात खत्म नहीं कर पाने के कारण अग्रिम जमानत पर सुनवाई शनिवार सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले बचाव पक्ष की वकील गीता लूथरा ने अदालत को बताया कि दुष्कर्म विरोधी नया कानून कठोर है और पत्रिका की प्रबंध संपादक को पीड़िता ने जब पहला ई-मेल भेजकर यौन शोषण की शिकायत की, तभी उन्हें लगा कि यह सोची-समझी साजिश है और निहित स्वार्थ के तहत शिकायत की गई है।
लूथरा ने पीड़िता पर शिकायत को रचने का आरोप लगाया और कहा कि यह सत्य से परे है। लूथरा ने सवाल उठाया कि यदि वह काफी परेशान और मुसीबत में थी, जैसा कि उसने दावा किया है, तब कथित घटना के बाद उसका व्यवहार सामान्य कैसे बना रहा। कार्रवाई के दौरा न्यायाधीश ने प्राथमिकी में लिखा पीड़िता का नाम लेने पर बचाव पक्ष की वकील को फटकार लगाई। बचाव पक्ष की वकील ने पुलिस पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक आकाओं के निर्देश पर तेजपाल को प्रताड़ित कर रही है।
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