- "एक अनूठी पहल, गरीबों ने की गरीब की मदद, एक घंटे में चंदे से किये 50,000 एकत्रित"
छतरपुर - [संतोष गंगेले ] छतरपुर में विस्फोट से हुए घायल परिवार के लोग इलाज के लिए मोहताज है, उनके पास एक वक्त के खाने के लिए पैसा नहीं तो भला वह इलाज कहाँ से करा सकें और दवा कहाँ से खरीद सकें, इलाज के लिए तरसते पैजानों ने अधिकारीयों और नेताओं से मदद कि गुहार भी लगाई पर कोई भी उनकी सुनने वाला नहीं, हालेबायं होने के बाबजूद जनता के सेवकों का दिल नहीं पसीजा और न ही कोई मदद की, तब कहीं जाकर गरीब जनता ने बीड़ा उठाया मदद करने का, और शुरू कि मुहीम और यह मुहीम रंग लाई, इन गरीब मजदूरों ने झोली फैलाकर मोहल्ले से माँगा चंदा और जब एक हाथ उठा तो सैकड़ों हाथों का साथ मिला और 5-10 रुपये चंदे में मिली रकम हो गई हजारों तब्दील और कर लिए मजदूरों ने एकत्रित पचास हजार रुपये सिर्फ एक घंटे में…!
छतरपुर जिले में मजदूरों कि इस तरह कि पहल करके मदद करना अपने आप में रिकार्ड है, मदद कि इस पहल का जज्बा आया मोहल्ले के एक 25 वर्षीया युवा संतोष को जो कि पेशे से अखबार का हाकर है जो कि सुबह सुबह अखबारों कि फाइलों को कम्प्लीट कर तय सुदा स्थानों पर देता है और फिर रोजाना कि तरह निकल जाता है ऑटो मोबाईल कंपनी में काम करने, इस हादसे से पीड़ित परिवार के बारे में उसे जानकारी तो थी पर ये पता नहीं था कि यह परिवार इलाज के लिए मोहताज है, जब उसे पता चला कि हालात यह हैं कि कोई मदद को तैयार नहीं तो उसने अपने युवा साथियों से मिलकर इस मुहीम को छेड़ा कि हम सभी बस्ती वाले गरीब इसकी मदद करेंगे, बच्चों की यह पहल बड़ों को भी भा गई और उन्होंने भी इनकी हौशला अफजाई की और छेद दी मुहीम और सभी की मदद से कर लिए एक घंटे में पचास हजार रुपये एकत्रित…!
मामला छतरपुर में दीपावली पूजन के समय पटाखे में लगी आग से हुए विस्फोट का है जहाँ एक ही परिवार के बच्चों सहित ७ लोग घायल हो गए थे जिनमे से ३ गम्भीर थे और एक ७ साल के बच्चे की हालत जयादा गम्भीर थी जिसके चलते उसे डाक्टरों ने दिल्ली रिफर कर दिया था, पीड़ित को मिली मदद से अब वह अपने परिजनों का इलाज करा सकेगा उसके अनुसार उसने कभी ऐसा सोचा और न देखा था कि कोई ऐसे भी मदद कर सकता है, वर्ना पहले तो उसने मदद की आश ही छोड़ दी थी…!
वहीँ लोगों में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के प्रति भारी आक्रोश है, इनका कहना है कि गरीब के घर विस्फोट हुआ और पुरे परिवार की मौत बन पड़ी है और कोई मदद तो दूर देखने तक नहीं आया, अगर यही हादशा किसी पूंजीपति, अमीर, और नेता के यहाँ हुआ होता तो हजारों की भीड़ का तांता लगा होता, अभी चुनावी समर है और टिकिट क्लियर नहीं है तो नेता भी नहीं आये, अभी वोटों की बारी आएगी तो चक्कर पे चक्कर लगाएंगे नेता जी, क्या यही मानवता है…!
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