राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि आर्थिक प्रगति के लिए शिक्षा का सर्वाधिक महत्व है। मुखर्जी ने कहा, "यदि 12वीं पंचवर्षीय योजना में निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक नौ फीसदी के विकास दर को हासिल करना है तो उसके लिए प्रभावी कारकों को हमें अवश्य ही ठीक करना होगा, जिसमें सबसे प्रमुख कारकों में उच्च शिक्षा भी है।"मुखर्जी राष्ट्रपति भवन पर आयोजित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) के निदेशकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
मुखर्जी ने खुद एनआईटी में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाए जाने एवं शिक्षकों के विकास के लिए जरूरी कदम उठाने पर चर्चा करने के लिए एनाआईटी के निदेशकों का दो दिवसीय सम्मेलन बुलाया है। राष्ट्रपति ने कहा कि खरीद क्षमता के आधार पर भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, तथा चीन के बाद विकास दर के मामले में दूसरे स्थान पर है। मुखर्जी ने शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता जाहिर की।
मुखर्जी ने कहा, "दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों की अपेक्षा हमारे शिक्षण संस्थानों का आज स्तर क्या है, यह पता करना बहुत कठिन नहीं है। विश्वविद्यालयों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग प्रदान करने वाली दो संस्थाओं -क्यूएस रैंकिंग एवं टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय या संस्थान को शीर्ष 200 में भी स्थान नहीं मिल सका है।" मुखर्जी ने कहा कि शिक्षकों की कमी गंभीर समस्या है, और सभी संस्थानों में रिक्तियों को तत्काल भरा जाना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें