पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में यदि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार इंटरनेट पर किसी भी तरह का प्रचार करता है तो उसका खर्च उनके चुनावी खर्चे में शामिल होगा। दिल्ली चुनाव कार्यालय के मुख्य नोडल अधिकारी अंकुर गर्ग ने बताया कि चुनाव आयोग से इस संबंध में स्पष्ट निर्देश मिले हैं कि इंटरनेट पर जारी प्रचार सामग्री को भी उसी तरह देखा जाये जैसे टेलीविजन या अन्य प्रचार सामग्रियों को। इंटरनेट पर पोस्ट की जाने वाली प्रचार सामग्री के लिए भी पहले निर्वाचन विभाग से अनुमति लेनी होगी। बिना अनुमति के यहां भी प्रचार सामग्री अवैध मानी जायेगी।
गर्ग ने बताया कि इसके बाद उस प्रचार सामग्री को तैयार करने का डिजाइनिंग का पूरा खर्च वेबसाइट का किराया और यदि उसके परिचालन के लिए कोई कर्मचारी रखा गया है तो उसका पूरा खर्च उम्मीदवार या पार्टी के चुनाव खर्च में शामिल होगा। उन्होंने बताया कि इंटरनेट पर मतदाताओं को लुभाने के लिए किसी प्रकार के उपहार आदि का वादा भी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जायेगा। इंटरनेट पर चुनाव प्रचार और उम्मीदवारों और पार्टियों कीवेवसाइटों और सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर रखने के लिए सूचना मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति की गई है।
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