पटना। संघर्ष,पहचान एवं अधिकार के लिए महिला किसान सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें राज्यभर के तीन हजार की संख्या में महिला किसानों ने हिस्सा लिया। ऑक्सफैम इंडिया द्वारा बिहार के सामाजिक सरोकारों से ताल्लुकात रखने वालों के सहयोग से महिला किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। अपनी संघर्ष एवं सफलता की कथा कुछ महिलाओं ने पेश किया। इसके पहले जिला स्तरीय महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन मुख्यतः महिलाओं को सामाजिक व कानूनी स्तर पर किसान के रूप में पहचान बनाने के ऊपर ही क्रेन्द्रित किया गया।
इस अवसर पर अपने उद्घाटन संभाषण में केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री तारिक अनवर ने कहा कि आज भी महिलाओं के साथ हर क्षेत्र में भेदभाव किया जा रहा है। यह भेदभाव सरकारी,निजी,उघोग,व्यापार आदि क्षेत्र में देख सकते हैं। सभी ने अनदेखी कर रखी है। इतना होने के बावजूद भी महिलाओं के लिए काम हुआ है। महिलाओं को अधिकार देने के लिए वह चाहे केन्द्रीय अथवा राज्य सरकारों के माध्यम से क्यों न हो। सरकार ने कानून बनाएं और तो और संविधान में संशोधन करने की दिशा में पीछे नहीं है। अब भी बहुत कुछ करना बाकी है।
कृषि राज्य मंत्री ने स्पष्ट कहा कि आज हुकूमत उसकी सुनती है। जिसके पास संख्या और संगठन है। इसके आलोक में एकता और संगठन बनाने पर जोर दिये। संगठन के बल पर अपनी समस्याओं का समाधान करवाया जा सकता है। इतना तो जरूर है कि फिलवक्त महिला किसानों के पास जन संगठन है। इस ओर ऑक्सफैम इंडिया की ओर से प्रयास किया जा रहा है। इतनी भारी संख्या में महिला किसान को एक जगह लाने में सफल हो गये हैं।
उन्होंने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। कृषि पर ही जीवन व्यत्तित कर रहे हैं। खेत-खलियान में पुरूष और महिला मिलकर कार्य करते हैं, बल्कि नाम और सम्मान पुरूष किसान ही उड़ा ले जाते हैं। इस क्षेत्र में महिलाओं को मान-सम्मान नहीं मिला है। देश-प्रदेश में 65 प्रतिशत कार्य का निपटारा महिलाएं ही करती हैं। घर से लेकर खलियान तक महिलाएं कार्य कर रही हैं। परन्तु मेहनत के अनुसार भुगतान नहीं मिल पा रहा हैं इस तरह के अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने का आह्वान किया।
आज केवल किसानों को एकमात्रः खेत ही काम करने का क्षेत्र नहीं रह गया है। उनको पशु पालन,मछली पालन,मधु मक्खी पालन आदि क्षेत्र में कार्य करने का अवसर है। इसमें महिला और पुरूष मिलकर कार्य कर सकते हैं। इससे रोजगार उत्पन्न भी हो सकता है।
यह जरूर है कि महिलाओं को जमीन पर मालिकाना हक नहीं है। यह अधिकार मिलना चाहिए। यह भी जरूरी है कि जिनके पास कम जमीन है। दुनियाभर की आधी आबादी के पास सिर्फ 2 प्रतिशत जमीन है। वहीं आमदनी में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इतना अन्तर को कम करने की जरूरत है। यह भी देखना होगा कि जिनके पास कम जमीन है तो ऐसे लोग किस तरह से पैदावार अधिक कर सकते हैं। उनके बारे में जानकारी लेनी पड़ेगी। सभी को शिक्षित होना पड़ेगा। बच्चों को भी शिक्षित करने पर बल दिया। हां, देश अनाज के सिलसिले में स्वावलम्बी हो चुका है। अब पेट भरने के लिए विदेश से अनाज मंगाने की जरूरत नहीं है।
इसके पहले केन्द्रीय कृषि मंत्री तारिक अनवर और अन्य लोगों ने मिलकर दीप प्रज्जवलित कर महिला किसान सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर आगत लोगों का स्वागत करते हुए ऑक्सफैम इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक प्रविन्द कुमार प्रवीण ने कहा कि देश में सामाजिक रूप से महिलाओं को किसान का दर्जा नहीं दिया जा रहा है और सरकार की योजनाओं में भी महिलाओं की पहुंच एवं भागीदारी कम है। जबकि कानूनी रूप से महिलाओं को शिक्षा और संपति में बराबरी का अधिकार सुनिश्चत किया गया है। हर स्तर पर जेंडर गैप को कम करने की आवश्यकता है। आज बहुत सी संस्थाएं एवं व्यक्तिगत स्तर पर भी लोग महिलाओं की बराबरी के अधिकार के लिए अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोगों को एकजुट करने की जरूरत है। इसके अलावे ऑक्सफैम इंडिया की आर्थिक न्याय मुद्दे की राष्ट्रीय संयोजिका सुश्री वनीता सुनेजा ने महिला किसानों की राष्ट्रीय परिपेक्ष को सम्मेलन में रखा।
इस अवसर पर ऑक्सफैम इंडिया के द्वारा महिला किसानों के ऊपर थीम सॉग तैयार किया गया है। ‘आधी आबादी को पूरा मान चाहिए,हर भागीदारी की एक पहचान चाहिए’। नामक गीत का सीडी का विमोचन किया। इस अवसर पर एक्शन एड के क्षेत्री प्रबंधक,विनय ओहदार, एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक प्रदीप प्रियदर्शी, गया में कार्यशील संस्था प्रयास ग्रामीण विकास समिति के सचिव कपिलेश्वर राम, महिला सामाख्या की नेत्री पुष्पा लकड़ा, सेन्टर फॉ, सेन्टर फॉर वर्ल्ड सोलिडरिटी के अयज कुमार आदि ने भी महिला किसानों को संबोधित किया।
आलोक कुमार
बिहार
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