हिमाचल प्रदेश सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए राज्य के उच्च न्यायालय ने मंगलवार को धर्मशाला स्थित अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का कब्जा फिर से हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) को सौंपने का आदेश दे दिया। इससे पहले 26 अक्टूबर को राज्य सरकार ने धर्मशाला अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम एवं उसके रिहायशी इमारत परिसर के साथ-साथ एचपीसीए की अन्य संपत्ति अपने कब्जे में ले ली थी। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ए. एम. खानविलकर एवं न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा एचपीसीए की संपत्तियों का अधिग्रहण करने संबंधी आदेश से पूर्व की स्थिति कायम रखने का आदेश दिया।
न्यायालय ने एचपीसीए द्वारा दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। एचपीसीए ने अपनी याचिका में राज्य सरकार द्वारा संपत्तियों के अधिग्रहण के आदेश का विरोध किया था और कहा था कि यह आदेश देने से पहले एचपीसीए को सुनवाई का पर्याप्त मौका ही नहीं दिया गया।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा, "मैं याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमत हूं कि यह कार्रवाई राजनीति प्रेरित थी..राज्य सरकार से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं की जाती।" हिमाचल प्रदेश सरकार ने एचपीसीए को पट्टे पर दी गई भूमि का पट्टा निरस्त कर दिया था, और धर्मशाला स्थित अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम एवं उसके रिहायशी परिसर के साथ-साथ एचपीसीए को बिलासपुर, नूरपुर, कोटखाई एवं शिमला में आवंटित भूमि को अपने कब्जे में ले लिया था।
राज्य निगरानी एवं भ्रष्टाचार निवारक ब्यूरो ने एचपीसीए के खिलाफ दो मामले दर्ज किए हैं, और इस मामले की जांच फिलहाल जारी है। सोसायटी के रूप में गठित एचपीसीए आज एक कंपनी बन चुकी है, जिसके अध्यक्ष राज्य में भाजपा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर हैं।
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