नेता जनहितकारी भावना एवं लोकनिर्माण के तत्वों से बना हुआ शब्द मात्र नहीं अपितु वह प्रतिनिधित्व भी करता है । वे काम जो जनता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में नहीं कर पाती उन्हें ही करने के लिए एक प्रतिनिधि का चयन किया जाता है, यद्यपि नेता किसी दल से संबंध रखता है तथापि वह जनता के समूह के प्रति भी उतना ही जिम्मेदार रहता है ऐसे में चुनावों के मद्देनजर आयोजित सभाओं और पार्टियों में दी जाने वाले उपहार/भेंट में यदि उन्हें किसी भी प्रकार के हथियार अथवा जिस किस प्रकार से जीव मात्र की हत्या होती हो ऐसी वस्तु नहीं स्वीकार करनी चाहिए ।
अमूमन देखा गया है कि राजनीतिज्ञ अपनी महत्तता को बताने के लिए तलवार उपहार में लेते हैं धनुष-बाण भी लेते है लेकिन वे ये भूल जाते हैं कि भारत गणराज्य के संविधान में अहिंसा भी निहितार्थ है और ऐसे उपहार लेकर वे चाहे अपराध नहीं कर रहे हों लेकिन उसे प्रशय अवष्य ही दे रहे हैं । देश के चंहुमुखी विकास में हिंसा सर्वथा बाधक तत्व है जिसके विष ने सामाजिक वैमनष्य के बीज बोये हुए हैं एक प्रतिनिधि को ऐसे में अहिंसात्मक एवं सर्वधर्म समभाव की भावना से चलते हुए कलम को उपहार स्वरूप स्वीकारना चाहिए और देष के युवाओं से भी चुनावों में हथियारों के उपयोग पर नकेल कसनी चाहिए उन्हें ये समझना चाहिए कि बाहुबल से नहीं देश को सभी के प्यार से चलाना है।
चुनाव आयोग भी इस दिशा में उचित निर्णय ले सकता है ।
आनन्द हर्ष
जैसलमेर(राज.)
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