पटना। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार भूमि सुधार आयोग का गठन किये थे। आयोग के अध्यक्ष डी. बंधोपाध्याय को बनाया गया। आयोग के अध्यक्ष बंधोपाध्याय ने सरकार को अनुशंसा पेश कर दी। इसका हाल यह है कि बिहार भूमि सुधार आयोग की अनुशंसा के आलोक में बिहार भूदान यज्ञ कमिटी मंथरगति से भी नहीं चली। आज भी भूदान भूमि का वितरण,दाखिल-खारिज, स्वामित्व,निरूपण एवं संबंधित कार्य अधुरा पड़ा हुआ है। बिहार भूदान यज्ञ कमिटी ने आयोग के अध्यक्ष की अनुशंसा को ठेंगा दिया है। तो एकता परिषद के प्रांतीय संचालन समिति के सदस्य विजय गोरैया के सुझाव को क्या अमल में लाएंगे?
बिहार भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष डी. बंधोपाध्याय ने बिहार भूदान यज्ञ कमिटी को सीधा गाइड लाइन थमा दिया था। 1 अक्तूबर,2007 से 31 मार्च,2008 तक कियान्वयन हेतु आवश्यक व्यवस्था समेत सभी प्रारम्भिक औपचारिकताओं को पूर्ण कर लेना था। अभियान की समाप्ति तक वार्षिक संविधा के आधार पर उप समाहर्ताओं की नियुक्ति एवं बाह्य सर्वें-कर्मियों के माध्यम से भूदान जमीन का सर्वेक्षण कर सत्यापन किया जाना। 1 अप्रैल,2008 से 31 मार्च,2009 तक बचे हुए सभी कार्यों का संपादन यथा- वितरण,दाखिल-खारिज, स्वामित्व,निरूपण एवं संबंधित अन्य सभी अनुवर्ती कार्रवाईयां सुनिश्चित कर लेना था। 1 अप्रैल,2009 से 31 दिसम्बर,2009 तक भूदान यज्ञ कमिटी एवं सभी सहयोगी संस्थाओं के कार्यों को समेटना तथा सभी लम्बित कार्यों को पूर्ण होने की घोषणा कर देनी थी। कमिटी को बस उसी के लिंक पर आगे बढ़ते चले जाना था। जो चार साल के बाद भी नहीं हो सका।
बिहार भूदान यज्ञ कमिटी के अध्यक्ष शुभमूर्ति ने पत्रांक 13 च/013-403 दिनांक 24 जुलाई,2013 को क्षेत्रीय पदाधिकारी सह कार्यालय मंत्री, जिला भूदान यज्ञ कार्यालय , अरार मोड़, गोपालगंज और कार्यालय मंत्री, जिला भूदान यज्ञ कार्यालय, मुजफ्फरपुर को पत्र लिखकर मौजा चटुआ थाना न0 265 अंचल- कुढ़नी,जिला- मुजफ्फरपुर के अनिर्गत प्रमाण पत्र का स्थल जांच कर निर्गत करने का आदेश निर्गत किया। इस मौजा में 68 व्यक्तियों के बीच खाता न0 1103 खेसरा न0 1174 एवं 2505 जिला हाल खेसरा 3079 से 3086 तक बना है, का वितरण किया गया था, जिसमें से 32 प्रमाण पत्र निर्गत है तथा शेष 36 प्रमाण पत्र अनिर्गत है।
एकता परिषद के प्रांतीय संचालन समिति के सदस्य विजय गौरेया के नेतृत्व में त्रिसदस्यीय टीम गठित की गयी है। उन दोनों पदाधिकारियों को आदेश दिया गया कि प्रमाण पत्र में निहित भूमि का स्थल जांच कर यह स्पष्ट कर लें कि अनिर्गत प्रमाण पत्र हर दृष्टि से निर्गत योग्य है या नहीं? प्राप्त जानकारी के अनुसार त्रिसदस्यीय टीम के नेतृत्वकर्ता विजय गौरेया ने हाथ खिंच लिया है। फिलवक्त समयाभाव के कारण प्रमाण पत्रों की लाभुकों की पात्रता जांच तथा वितरण का दायित्व निभाने में असमर्थ करार दिया। भविष्य में न सिर्फ कुढ़नी बल्कि सहरसा जिले के सौर बाजार एवं सौनवर्षा, मधेपुरा जिले के मुरलीगंज तथा अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंडों में भी अपने साथियों के साथ सहयोग करने के लिए प्रस्तुत रहूंगा। व्यस्तता के कारण जांच टीम से अलग होकर सुझाव दे दिये।
उनसे सर्म्पक करके सर्वप्रथम भूदान यज्ञ कार्यालय के द्वारा लाभुकों की पात्रता का मापदंड तय किया जाये,कि लक्ष्य समूह आवासीय भूमिहीन ,सीमांत किसान,लघु किसान,सामान्य किसान में से कोई भी हो सकता है,या फिर इनके क्रमिक स्वरूप को लक्ष्य समूह माना जाये। अगर क्रमिक स्वरूप मान्य होता है तो आरंभ बिन्दू आवासीय भूमिहीन ही होना चाहिए। एक स्तर को पूरा करने के बाद ही दूसरे स्तर के लोगों को जोड़ा जाये। भूमि की उपलब्धता के हिसाब से वितरण के लिए नजदीकी टोला या गांव का नाम पहले तय कर लिया जाये। उपलब्ध जमीन को किस्म के आधार पर नक्शे पर ही, टुकड़ों में बांट दिया जाये। टुकड़े का रकवा समान होना चाहिए। इस तरह लाभुकों की संख्या पहले तय हो जायेगी। जमीन के असमान वितरण के तोहमत से भी बचाव होगा। लक्षित टोला-गांव में, लाभुक बनने की पात्रता की शतों का ऐलान करते हुए , मुनादी कराकर आम सभा की सूचना दी जाये। आम सभा में लाभुक-पात्रता की शर्तों को रखते हुए स्पष्ट कर दिया जाये कि प्रशासनिक जांच के बाद ही उनका नाम अंतिम तौर पर चयनित माना जायेगा। चयनित पुरूष लाभुकों के पिता , पत्नी, दादा तथा महिला लाभुकों के पति,पिता,श्वसुर एवं ददिया श्वसुर के नाम दर्ज किया जायें। आम सभा में तय नामों को भूदान कार्यालय के मापदंड पत्रक के साथ अंचल,भूदान तथा प्रखंड कार्यालय के पास प्रशासनिक जांच के लिए भेजा जाये। अंचल कार्यालय हलका राजस्व कर्मचारी के माध्यम से सूचीबद्ध लोगों तथा उनके निकटस्थ परिजनों के जमीन की अपस्थिति को पता करेगा। जिला भूदान कार्यालय उस टोले में पूर्व में बांटी गई सूची से नामों का मिलान करेगा। प्रखंड कार्यालय मुखिया,समिति सदस्य एवं पंचायत सचिव के माध्यम से चयनित लोगों तथा उनके निकटस्थ परिजनों के सरकारी या अर्द्ध सरकारी सेवा में कार्यरत होने का ब्योरा प्राप्त करेगा। इन कार्यों को भूदान कार्यालय भी एक जवाबदेह तंत्र के माध्यम से कर सकता है। चयनित लोगों के बीच जमीन के टुकडे़ का वितरण लॉट्री के माध्यम से हो। अगर प्लॉट तक रास्ता हो तो आवासीय भूमिहीनों को रास्ता के किनारे की हीम जमीन उपलब्ध कराई जाये। कार्य क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारी पर कड़ी नजर रखी जायें ताकि अवैध उगाही के लिए वह बिचौलिया न खड़ा कर सके। पूर्व में प्राप्त भूदान भूमि पर कब्जा न मिलने की शिकायत पर सम्बधित जिलाधिकारी को निर्देश पत्र भेजा जाये। भूदान किसानों को कब्जा न देने के लिए तरह-तरह के मुकदमा में उलझा देने के पेंच से बचाव के लिए भूदान कार्यालय आगे आये। से कोई भी हो सकता है।
आलोक कुमार
बिहार
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