भारत ने शुक्रवार को ओडिशा तट पर स्थित परीक्षण रेंज से अपनी स्वदेशी और परमाणु क्षमता संपन्न बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-1 का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया। इस मिसाइल की मारक क्षमता 700 किलोमीटर है। यह परीक्षण सेना किए जाने वाले प्रायोगिक परीक्षण का एक हिस्सा है।
सतह से सतह पर मार कर सकने वाली इस एकल-चरणीय मिसाइल में ठोस प्रणोदकों का इस्तेमाल किया गया है। मिसाइल का प्रायोगिक-परीक्षण एक गतिशील लांचर की मदद से यहां से 100 किलोमीटर दूर स्थित व्हीलर आइलैंड की इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज के लॉन्च पैड-4 से 9 बजकर 33 मिनट पर किया गया।
आईटीआर के निदेशक एमवीकेवी प्रसाद ने कहा कि बैलिस्टिक मिसाइल का प्रायोगिक परीक्षण पूरी तरह सफल रहा। उन्होंने कहा कि अग्नि-1 मिसाइल को स्ट्रेटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी) द्वारा लॉन्च किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि डीआरडीओ द्वारा विकसित मध्यम-दूरी की इस बैलिस्टिक मिसाइल को सैन्य बलों द्वारा नियमित प्रशिक्षण के भाग के रूप में लॉन्च किया गया।
उन्होंने कहा कि अग्नि-1 मिसाइल में एक विशेष नेविगेशन सिस्टम लगा है जो यह सुनिश्चित करता है कि यह अपने लक्ष्य पर पूरी स्पष्टता के साथ पहुंचे। 12 टन वजन वाली 15 मीटर लंबी अग्नि-1 को पहले ही भारतीय सेना में शामिल किया जा चुका है। यह अपने साथ 1000 किलोग्राम का वजन ले जा सकती है।
अग्नि-1 को डीआरडीओ की मिसाइल बनाने वाली प्रमुख प्रयोगशाला एडवांस्ड सिस्टम्स लैबोरेटरी ने हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लैबोरेटरी और रिसर्च सेंटर इमारात के साथ मिलकर विकसित किया है। इसे संकलित करने का काम भारत डायनेमिक्स लिमिटिड ने किया। परिष्कृत अग्नि-1 का पिछला सफल परीक्षण 1 दिसंबर 2012 को इसी बेस से किया गया था।
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