वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि किसी भी राज्य के विकास का मॉडल देश की वृद्धि के लिए आदर्श नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि क्योंकि कई ऐसे राष्ट्रीय मुद्दे हैं जिनसे राज्यों को नहीं निपटना पड़ता है.
कोलकाता में गुरुवार को जब सिन्हा से पूछा गया था कि राष्ट्रीय स्तर पर गुजरात या बिहार में से कौन सा मॉडल अपनाया जाना चाहिए. भारत चैंबर ऑफ कामर्स के परिचर्चा सत्र में सिन्हा ने कहा कि राज्य का मॉडल कई क्षेत्रों मसलन कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए उचित हो सकता है.’’ लेकिन राज्यों को कई राष्ट्रीय मसलों मसलन बैंकिंग या बाजार से नहीं निपटना पड़ता.
देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि नीति निर्माताओं की अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर निर्भरता अच्छी बात नहीं है. इस निर्भरता को कम करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए. सतत आर्थिक वृद्धि पर जोर देते हुए सिन्हा ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि तीन साल तक तो बेहद तेज वृद्धि हो और उसके बाद मंदी आ जाए.
सिन्हा ने कहा कि इस समय घरेलू मांग बढ़ाने, घरेलू बचत बढ़ाने तथा निवेश की दक्षता में इजाफे की जरूरत है. चालू खाते के घाटे (कैड) पर उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि यह 60 अरब डालर रहेगा. ‘‘लेकिन कोई भी यह नहीं बता रहा कि यह सकल घरेलू उत्पाद का कितना प्रतिशत होगा.’’
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