केंद्र सरकार ने समलैंगिकता को अवैध ठहराने वाली धारा 377 को सही ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है। खुद केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने इसकी जानकारी दी।
तस्वीरें देखें फैसला देने वाले जज रिटायर हो चुके हैं इसलिए इस पुनर्विचार याचिका पर विचार के लिए नई पीठ का गठन किया जाएगा। फिलहाल कोर्ट की छुट्टियां हैं और इस मामले में अब दो जनवरी को ही सुनवाई हो सकेगी।
महिला समलैगिक, पुरुष समलैंगिक, उभयलिंगी और किन्नर (एलजीबीटी) समुदाय के सदस्य और उनके अधिकारों के समर्थक कार्यकर्ता सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियोंने ने पोस्टर और बैनर लहराए, जिनपर 'हम अपराधी नहीं हैं' और 'दूसरे मनुष्य से प्यार करना अपराध नहीं है' जैसे नारे लिखे थे। प्रदर्शनकारियों में एलजीबीटी समुदाय के सदस्य, उनके परिजन, महिला यौनकर्मी और महिला अधिकारवादी संगठन के सदस्य शामिल थे, जो फैसले को अविलंब वापस लिए जाने की मांग कर रहे थे।
सर्वोच्च न्यायालय ने 11 दिसंबर के फैसले में भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को बरकरार रखा। यह धारा समलैंगिक संबंधों पर पाबंदी लगाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 2009 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि यह धारा एलजीबीटी समुदाय के अधिकार का उल्लंघन करती है।
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