गया। हम कितने अंधविश्वासी बनते जा रहे हैं। आधुनिक युग में ही अवैज्ञानिक तरीके का व्यवहार करते हैं। बिन जांच-परख से की गयी विकसित चीजों को धड़ल्ले से इस्तेमाल करने लगते हैं। इसी सिलसिल में विकसित किया गया है। जिसपर यह यकीन करना मुश्किल है कि भला एक काले धांगे में 5 मिर्च, 1 नींबू और एक लहसून के टुकड़े से निर्मित हार से शनिचरा ग्रह के प्रभाव को कम किया जा सकता है? फिर भी लोग फैंशन की तरह घर और दुकान के बाहर ‘हार’ को चमत्कार करके के लिए टांग देते हैं। जिस प्रकार निर्माण होने वाले मकान के साइट पर जूता,झाड़ू आदि टांग देते हैं। अब तो दिल्ली की आंधी में झाड़ू को आम से खास लोग टांगने लगे है। इसका परिणाम सामने दिखाई दे रहा है।
अभी तक हम लोग दूर से दर्शन करके टी.वी.पर तथाकथित बाबाओं के प्रवचन सुनते रहे हैं। इसके अलावे नाम और जन्मतिथि के अनुसार राशी से की जानकारी लेकर ग्रहों से बचाव कर पाते थे। उसी के अनुसार चलकर विराजमान ग्रहों को शांत किया करते हैं। उसमें शनिचरा ग्रहों से बचाव करने वाला भी जुड़ गया है। अगर आप इस समय शनिचरा ग्रह से हैरान और परेशान हैं?ः अगर आप शनिचरा ग्रह से परेशान हैं? तो आप चिन्ता मत कीजिए। इस संदर्भ में कुछ वंदों ने मिलकर सोच विचार करके शनिचरा ग्रह पर काबू पाने का जरिया ढूंढ़ लिये हैं। जिसे बहुत ही आसानी से हम लोगों को प्राप्त हो रहा है। जो प्रत्येक शनिवार के दिन स्वास्थ्य सुविधा आपके द्वार पहुंचाने के सपने दिखाने वाली सरकार की तरह वंदा द्वार पर पहुंच जाता है।
अब उसी के हाथ में शनिचरा ग्रह को सात समुन्दर दूर खदेड़ने की शक्ति हासिल कर लिया है। बस एक काले धांगे में 5 मिर्च, 1 नींबू और एक लहसून के टुकड़े को हार बनाकर चमत्कार कर रहा है। इस हार के चमत्कार को लोग नमस्कार करके घर के अंदर अथवा बाहर बांध दे रहे हैं। हार तो आप भी बना सकते हैं। अगर आपके पास टाइम नहीं है। तोभी चिन्ता करने की बात नहीं है। उसे आपको तैयार करके हार पहुंचा दिया जाएगा। प्रत्येक शनिवार को मिल जाएगा। बस जेब से 4 रू.निकालना पड़ेगा। ग्रहण से कट जाता
इस हार को बनाने वाले और बेचने वालों को रोजगार मिल गया है। एक काले धांगे में 5 मिर्च, 1 नींबू और एक लहसून के टुकड़े को गूथकर हार बनाने वाले एक सौ हार बनाने में 15 रू. दिया जाता है। सब मिलाकर कुल खर्च 2.25 रू. पड़ता है। जिसे बाजार में प्रति हार 4 रू. में बेचा जाता है। दोनों मिलकर 9 सौ हार बेच दिए हैं। इसकी मांग और अधिक हो रही है।
सवाल उठता है कि खाने वाले चीजों से शनिचरा ग्रह को खदेड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उसका गलत उपयोग किया जा रहा है। सरकार और गैर सरकारी संस्था खामोश हैं। उन दोनों के द्वारा खाने वाली चीजों को गलत व्यवहार करने वालों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है। न ही आम से खास लोगों को ही जागरूक किया जा रहा है। इस तरह अंधविश्वास की डगर पर बढ़ते जा रहे हैं।
आलोक कुमार
बिहार
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