देवयानी से दुर्व्यवहार मामले में भारत का आक्रोश. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

देवयानी से दुर्व्यवहार मामले में भारत का आक्रोश.

अमेरिका में भारतीय डिप्लोमैट के साथ हुए दुर्व्यवहार पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मंगलवार को बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अमेरिका से आई डेलिगेशन से मिलने से इनकार कर दिया। 

वहीं भारत ने सभी कार्यरत अमेरिकी डेलिगेट्स से अपने भारतीय आई कार्ड वापस करने के लिए कहा है। सूत्रों की मानें तो भारत अमेरिकी डिप्लोमैट्स के अधिकारों पर पुनर्विचार करने पर भी सोचा जा रहा है। भारत में अमेरिकी डिप्लोमैट्स को मिल रही इम्युनिटी के बारे में भी फिर से सोचा जा सकता है। 

सोमवार को कड़ा आक्रोश जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन की यूएस कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात का कार्यक्रम कैंसिल कर दिया। भारत ने अमेरिका को इस बात से अवगत करा दिया है कि मुलाकात देवयानी के साथ हुए दुर्व्यवहार के कारण ही रद्द की गई। हालांकि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद से इस प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। भारत का मानना है कि डिप्टी कौंसुल जनरल होने के नाते देवयानी को कुछ खास इम्युनिटीज़ मिलनी चाहिए थीं जो इस केस में उन्हें नहीं दी गईं। भारत ने देवयानी के वकील की इस दलील का भी समर्थन किया है कि अगर देवयानी का अपराध इतना ही गंभीर था, तो उन्हें दो घंटे बाद ही ज़मानत क्यों दे दी गई। 

अमेरिका ने भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के साथ जांच के दौरान हुई बदसुलूकी को लगभग जायज़ बताया और कहा कि उनकी जांच के दौरान स्टैंडर्ड प्रोसीजर ही फॉलो किया गया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की उप-प्रवक्ता मारी हर्फ ने यहां अपनी डेली प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से कहा, 'डिप्लोमैटिक सिक्यॉरिटी विदेश मंत्रालय के दायरे में है और उनकी (देवयानी की) गिरफ्तारी में उसने मानक प्रक्रियाओं का ही पालन किया। 

मारी ने यह बात तब कही जब उनसे मीडिया की इन रिपोर्टों के बारे में पूछा गया कि क्या न्यू यॉर्क में भारत की 39 वर्षीय डिप्टी कौंसुल जनरल देवयानी खोबरागड़े की कपड़े उतार कर तलाशी ली गई और क्या गिरफ्तारी के बाद उन्हें नशेड़ियों के साथ रखा गया। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि देवयानी का डीएनए स्वाब लिया गया। 

1999 बैच की आईएसएस अफसर, खोबरागड़े को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने जा रही थीं। उन्हें वीज़ा फ्रॉड करने के आरोप में सरेआम हथकड़ी लगाई गई थी। कोर्ट में निर्दोष होने की गुहार लगाने के बाद उन्हें 250,000 यूएस डॉलर के बॉन्ड पर रिहा किया गया था। मारी ने कहा, 'डिप्लोमैटिक सिक्यॉरिटी के लोगों ने हमारी मानक प्रक्रियाओं का पालन किया जिसे मैं डिप्लोमैट्स के लिए मानक मान रही हूं क्योंकि हमारी डिप्लोमैटिक सिक्यॉरिटी का काम ही डिप्लोमैट्स से डील करना है। 

हालांकि, उन्होंने अमेरिकी मार्शलों द्वारा देवयानी के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार के आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि डिप्लोमैटिक सिक्यॉरिटी विभाग ने देवयानी को उन्हें सौंपा था। हार्फ ने कहा कि विएना कन्वेंशन के तहत देवयानी को सिर्फ उन्हीं कार्यों में अदालत न जाने की छूट मिलती है जो कौंसुल संबंधी हैं। उन्होंने कहा, 'इम्युनिटी के कई प्रकार होते हैं। ऐसा सिर्फ अमेरिका में नहीं है, दुनिया के सभी देशों में है। इस केस में, वह विशेष प्रकार की इम्युनिटी के अंडर आती हैं और उनके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किये जा सकते हैं और पेंडिंग ट्रायल के लिए उन्हें अरेस्ट भी किया जा सकता है।' 

भारत ने इस पूरे मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज की है और विरोध जताते हुए लगभग सभी बड़े भारतीय नेताओं ने अमेरिकी डेलिगेशन से मिलने से भी इनकार कर दिया है। संसद ने भी इस घटना की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है।

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