जस्टिस गांगुली का फिर से इस्तीफे से इंकार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

जस्टिस गांगुली का फिर से इस्तीफे से इंकार

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के गांगुली ने मंगलवार को फिर पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे के मुद्दे को लेकर बेपरवाही जाहिर की। गांगुली ने एक बार फिर इन आरोपों को नकारा कि उन्होंने कानून की इंटर्न महिला का यौन उत्पीड़न किया था।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को अब भी नकारते हैं, इस पर गांगुली ने फोन पर बताया कि मैंने इससे इंकार किया है। मैं इससे ज्यादा क्या कहूंगा। राज्यसभा में मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसदों द्वारा पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से गांगुली को हटाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यवाहियों पर मैं कैसे टिप्पणी कर सकता हूं। अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की चौतरफा मांग के बावजूद गांगुली ने कहा कि मैं अब कुछ नहीं बोलूंगा। गौरतलब है कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह सहित विभिन्न तबकों के लोग पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से गांगुली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

अपने घर के बाहर मौजूद मीडियाकर्मियों द्वारा इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर गांगुली ने गुस्से में कहा कि इससे आपका कोई लेना-देना नहीं है। इस मामले को आगे ले जाने पर भी गांगुली ने कुछ ऐसा ही जवाब दिया।
गौरतलब है कि महिला इंटर्न की शिकायत की जांच के लिए बनी उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने गांगुली को पिछले साल 24 दिसंबर को दिल्ली के एक होटल में अभद्र बर्ताव और यौन प्रकति के व्यवहार का दोषी माना था।

इससे पहले यौन उत्पीड़न के आरोपों के मद्देनजर इस्तीफा देने को लेकर दबाव बढ़ने के बीच पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गांगुली ने राष्ट्रीय महिला आयोग को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का वक्त देने की मांग की। महिला आयोग ने उनसे अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। एनसीडब्ल्यू सदस्य निर्मला सामंत प्रभावल्कर ने कहा कि न्यायमूर्ति गांगुली ने मामले से संबंधित सारे दस्तावेजों को एकत्र करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए चार सप्ताह का समय मांगा है। आयोग ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था और छह दिसंबर को न्यायमूर्ति गांगुली को नोटिस भेजकर उनसे उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति द्वारा दोषारोपित किए जाने पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। न्यायमूर्ति गांगुली पर एक लॉ इंटर्न का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।

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