सार्वजनिक पद के दुरुपयोग में बढ़ोत्तरी कई गुना : उच्चतम न्यायालय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

सार्वजनिक पद के दुरुपयोग में बढ़ोत्तरी कई गुना : उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि निजी लाभ के लिए सार्वजनिक पद का दुरूपयोग कई गुना बढ़ गया है। भ्रष्टाचार के मामलों पर जनता की भावनाओं को व्यक्त करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस बात को लेकर बड़े पैमाने पर चिंता उभरकर आई है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सत्ता के गलियारे भ्रष्टाचार या भाई भतीजावाद से मुक्त हों और संसाधनों तथा कोष का अधिकतम इस्तेमाल उनके जरूरी उद्देश्यों के लिए हो ।
  
न्यायालय ने कहा कि निजी लाभ के लिए सार्वजनिक पद का दुरूपयोग कई गुना बढ़ गया है और इसने देश को बुरी तरह प्रभावित किया है। भ्रष्टाचार से राजस्व में कमी आती है, यह आर्थिक गतिविधियों की गति धीमी कर देता है। भ्रष्टाचार की वजह से देश को सबसे बड़ा नुकसान यह हो सकता है कि इसके चलते लोकतंत्र से भरोसा उठ सकता है या कानून व्यवस्था की स्थिति कमजोर पड़ सकती है।

कोई टिप्पणी नहीं: