करीब 10 लाख बैंककर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर बुधवार को एक दिवसीय हड़ताल की। उनकी कई मांगें हैं, मगर प्रमुख मांगों में सैलरी में बढ़ोतरी एक है। बैंककर्मी इस बात से आहत हैं कि सरकार ने उनको तनख्वाह में मात्र 5 प्रतिशत बढ़ोतरी का ऑफर अभी तक दिया है। जबकि पिछली बार 2010 में बैंककर्मियों की तनख्वाह में 17.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। अब जबकि महंगाई चरम पर है, सारी चीजें महंगी हो रही हैं, सरकार बैंककर्मियों की सैलरी में मात्र 5 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दे रही है। इसको कैसे माना जाए।
ज्यादा की हो पेशकश: नैशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के जनरल सेक्रेटरी अश्विनी राणा का कहना है कि हम तो इंडिया बैंक्स असोसिएशन (आईबीए) से बातचीत करने के लिए राजी हैं मगर वे सैलरी में बढ़ोतरी का अच्छा ऑफर तो दें। पिछली बार जितने प्रतिशत का इजाफा किया गया था, इस बार शुरुआत तो उतने से हो। मगर पिछली बार की तुलना में उसके 30 प्रतिशत यानी 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी का ऑफर दिया जा रहा है, उसे कैसे मान लिया जाए। एक सवाल के जवाब में अश्विनी राणा ने कहा कि आईबीए से बातचीत का ऑफर आ रहा है। हम चाहते हैं कि आईबीए सैलरी में बढ़ोतरी का तर्कसंगत प्रस्ताव दे, हम बातचीत के लिए तैयार हैं।
आगे की रणनीति: बैंक यूनियन 23 दिसंबर को आगे की रणनीति बनाने के लिए बैठक कर रहीं हैं। अगर इस समय तक आईबीए की तरफ से सैलरी में बढ़ोतरी का कोई तर्कसंगत प्रस्ताव नहीं आया तो बैंक यूनियन बेमियादी हड़ताल करने की रणनीति पर चर्चा करेंगी। एक यूनियन नेता ने बताया कि करीब 9 बैंक यूनियन इस मसले पर बेमियादी हड़ताल करने को तैयार हैं।
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