बिहार पुलिस की अपराध अनुसंधान शाखा (सीआईडी) की एक टीम दमन जाकर फिरौती के लिए गुजरात के एक व्यापारी के अपहरण में अपराधियों और सत्ताधारी जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के नेता के बीच सांठगांठ के आरोपों की जांच करेगी। पुलिस ने रविवार को कहा कि टीम व्यापारी के अपहरण मामले की जांच करेगी। अपहृत व्यापारी 25 करोड़ रुपये फिरौती देने के बाद 30 नवंबर को अपहर्ताओं के चंगुल से मुक्त हुआ था। टीवी चैनलों में इस आशय की खबर प्रसारित की गई कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक करीबी नेता इस अपराध में संलिप्त थे।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सूरत के एक कपड़ा कारोबारी सोहेल हिंगोरा (21) का दमन में धरमपुर गांव के समीप उनकी औद्योगिक इकाई के पास से 29 अक्टूबर को अपहरण कर लिया गया था। इसके बाद उन्हें बिहार लाया गया और हथियारबंद अपहर्ताओं ने उन्हें सारण एवं पटना में रखा। अपहृत के पिता हनीफ हिंगोरा ने आरोप लगाया कि इस अपराध में एक जदयू नेता, बिहार के पुलिस अधिकारी और पेशेवर गैंग के लोग शामिल थे। उन्होंने कहा, "बिहार के पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर पेशेवर गिरोह ने मेरे बेटे का अपहरण किया। हमें यह भी पता चला कि इसमें बिहार के कुछ नेता भी शामिल थे।" जांच में बिहार टीम संभवत: दमन पुलिस का भी सहयोग लेगी।
सीआईडी के उप महानिरीक्षक कमल किशोर सिंह ने कहा, "पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में सीआईडी की एक टीम मामले में फीडबैक के लिए दमन पुलिस से मुलाकात करेगी और हनीफ हिंगोरा के कॉल रिकार्ड की जांच करेगी।" पुलिस मुख्यालय के आदेश पर सारण के नयागांव थाने में रंजीत सिंह, उसके तीन भाइयों और उसके पिता नागमणि सिंह के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
पुलिस को आरोपियों की पहचान करने में हिंगोरा की यादाश्त मददगार रहा। हिंगोरा ने जिस कमरे में उन्हें रखा गया था वहां लगे टीवी सेट टॉप बाक्स का नंबर याद कर लिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को पुलिस महानिदेशक अभयानंद से जदयू नेता की कथित भूमिका की जांच कराने का आदेश दिया। इस नेता की पहचान अधिकारियों ने गोपनीय रखी है।
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