अरुण जेटली ने सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक को भेदभावपूर्ण कहा. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 3 दिसंबर 2013

अरुण जेटली ने सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक को भेदभावपूर्ण कहा.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक को अत्यंत भेदभावपूर्ण करार देते हुए आज कहा कि संसद द्वारा इस तरह का कानून बनाना राज्यों के अधिकारक्षेत्र में हस्तक्षेप करना होगा।
    
जेटली ने एक बयान में कहा कि सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा दो साल पहले सौंपे गये विधेयक के मसौदे को सलाह मशविरे के लिए इंटरनेट पर डाला गया। मैंने इस मसौदा विधेयक का कडी आलोचना की है क्योंकि कानून व्यवस्था और लोक व्यवस्था राज्य के विषय हैं और संसद द्वारा इस तरह का कानून बनाना राज्यों के अधिकारक्षेत्र का अतिक्रमण होगा।
    
उन्होंने कहा कि यह विधेयक अत्यंत भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह जन्म के निशान के आधार पर अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों के बीच भेदभाव करता है। यह विधेयक प्रस्तावित गठित होने वाले प्राधिकारों को अनियंत्रित अधिकार देता है। राष्ट्रीय एकता परिषद की 2011 में हुई बैठक में पार्टी विचारधारा से उपर उठकर मुख्यमंत्रियों ने इस आधार पर विधेयक का विरोध किया था कि यह संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ  होगा।
    
जेटली ने कहा, ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनावों से पहले सांप्रदायिक आधार पर देश का ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से गह मंत्रालय ने एक बार फिर राज्य सरकारों को पत्र लिखा है, जिसके साथ संशोधित मसौदा विधेयक भेजा गया है। अभी संबद्ध पक्षों से पर्याप्त विचार विमर्श नहीं किया गया है।

कोई टिप्पणी नहीं: