दानापुर। एक तो करैला तीत दूजे चढ़े नीम कहावत चरितार्थ हो रहा है। एक महीने पूर्व ही दियारावासियों की लाइफ लाइन समझे वाले पीपा पुल को चालू कर था। अब एक माह महीने बाद चालू होगा। इसका मतलब नूतन वर्ष 2014 में पीपा पुल शुरू होगा। तबतक दियारावासी जान जोखिम में डालकर नाव से ही आवाजाही करते रहेंगे। इसके अलावे प्रत्येक दिन नाव का भाड़ा देकर जेब ढीली करते रहेंगे।
जन दबाव के बाद सरकार की आंख खुलीः वैसे तो सरकार के द्वारा गंगा और सोन नदी का पानी घटने के बाद पीपा पुल को नवम्बर माह के अंत चालू कर दिया जाता था। इस बार पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर किस कारण से दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह से कार्य शुरू किया गया। अभी पीपा पुल के सभी पीपा की जांच करके मरम्मती की जा रही है। इसके बाद जोड़ने का कार्य शुरू किया जाएगा। इस तरह के कार्य खत्म करके सर्म्पक मार्ग के पास लाया जाएगा। जहां पर पीपा पुल को सुरक्षित जोड़ दिया जाएगा। विलम्ब होने से दियारावासियों को जन प्रतिनिधियों के साथ सरकार के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।
जान जोखिम में डालकर नाव से आवाजाही करतेः प्रत्येक दिन पचास हजार से अधिक लोग नाव से आवाजाही किया करते हैं। नाव वाले प्रति व्यक्ति पांच रू. भाड़ा वसूलते हैं। एक व्यक्ति और एक साइकिल के साथ दस रू. वसूलते हैं। दो वाहन गाड़ी वालों से पचास रू. लेते हैं। क्षमता से अधिक व्यक्ति और समान को लाधने के बाद ही नाव को खोली जाती है। यहां पर सैकड़ों नाव है। दिवारावासियों को नाविक नाव से लाने और ले जाने का कार्य करते हैं। नाविक के ही ऊपर लोगों की जान निर्भर है। सरकार के द्वारा दिशा निर्देश का खुल्लम खुला उलघंन किया जा रहा है। निर्देश के बावजूद भी अधिक संख्या में लोगों को सवार कर लेते हैं।
शहर में मजदूर हाटः दियारा क्षेत्र में काम उपलब्ध नहीं रहने के कारण लोग शहर की ओर कदम बढ़ाते हैं। शहर में आकर विभिन्न नुक्कड़ों पर खड़े होकर काम की तलाश करते हैं। किसी व्यक्ति को काम करवाने की जरूरत है। तो मजदूर हाट में आ जाते हैं। इस तरह की हाट दानापुर, बेली रोड, बोरिंग रोड,राजीव नगर आदि जगहों पर देखा जा सकता है।
आलोक कुमार
बिहार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें