बिहार : आखिर क्यों सरकार ने सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन जेल जाने वालों को दुत्कार दिया ? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 7 दिसंबर 2013

बिहार : आखिर क्यों सरकार ने सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन जेल जाने वालों को दुत्कार दिया ?

  • जौर्ज केरोबिन और उनके साथियों को सरकार क्रिसमस ग्रिफ्ट दें

आप और आपकी सरकार ने ऐसे लोगों को हाशिए पर ही छोड़ दिया गया है। यहां पर यह स्पष्ट तौर से कहा जा सकता है कि मीसा और डीआईआर वालों को दुलारा किया और सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन जेल जाने वालों को दुत्कारा दिया है। ऐसे लोग आज भी सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन जेल जाने के प्रमाण पत्र लेकर भटक रहे हैं। सरकारी दरवाजे पर दस्तक देते-देते थक गये हैं। इनको भी जेपी सम्मान से सम्मानित किया जाए। 

jayprakash narayan
गया। देश में संपूर्ण क्रांति लाने की घोषणा की गयी। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान गवाह है। 5 जून,1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने नौजवानों को ललकारा था। स्कूल-काॅलेज छोड़कर संपूर्ण क्रांति के आंदोलन में जुट जाए। उस समय की सरकार को घेरने का भी ऐलान किये। इस आह्वान में लाखों नौजवानों ने हिस्सा लिये। 

जेल भरो अभियान शुरूः 
जेल भरो अभियान शुरू हुआ। बिहार विधान सभा के द्वार पर धरना देकर नौजवान गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने लगे। धरना देकर जेल जाने वालों पर सी0एल0ए0 एक्ट 1942 लागू किया गया। इसी के तहत गिरफ्तार किये गये। ऐसे लोग जेल में थे। इसी बीच केन्द्रीय सरकार ने 26 जून,1974 में आपातकालीन घोषणा कर दी। ऐसे लोगों को मीसा और डीआईआर के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजे गये। 

एक को दुलार और दूसरे को दुत्कार का सिलसिला जारीः 
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने निर्णय लिया कि केवल जन आंदोलन में मीसा और डीआईआर के तहत जेल जाने वालों को ही सम्मानित और पेंशन दिया जाए। ऐसे लोगों को सरकार ने दुलार किया। सरकार ने सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन जेल जाने वालों को दुत्कार दिया। ऐसे लोग जेल से सीसीए का प्रमाण पत्र प्राप्त करके सरकार के पास आवेदन देकर जेपी सम्मान के हिस्से बनना चाहते हैं। मगर सरकार के पास सीसीए वालों के लिए दरवाजा बंद कर दिया गया। लाख दस्तक देने के बाद भी सरकार सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन वालों के पक्ष में निर्णय लेने की दिशा में धृतराष्ट्र बन जाती है।

केन्द्र और राज्य में सत्ता परिवर्तनः 
लोकनायक जयप्रकाश के नेतृत्व में जन आंदोलन धारधार बन गया। इसी के बल पर केन्द्र और राज्य में सत्ता परिवर्तन हो सका। इसी जन आंदोलन के चलते आंदोलन में महत्वपूर्ण किरदार अदा करने वाले जेपी के सिपाही प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच सके। उसी तरह मंत्री, सांसद, विधायक आदि बने। जो राजनीति में ठहर नहीं सके तो ऐसे लोग गैर सरकारी संस्था के सचिव बन गए। जन सरोकारों के मुद्दे को सरकार के समक्ष रखकर जनवकालत करने लगे। गैर सरकारी संस्थाओं को देशी और विदेशी फंड मिलने लगे। इसी के बल पर आम लोगों के बीच में कार्य करके खास बनते चले गये। 

क्रिसमस ग्रिफ्ट में जेपी सम्मान पेंशन दें:
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया गया है। आपने जन आंदोलन के दौरान मीसा और डीआईआर के तहत जेल जाने वालों को सम्मानित किया है। वहीं आज भी ऐसा जन आंदोलनकारी अछूते रह गये हैं, जो सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन जेल गये। आखिर क्यों सरकार ने सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन जेल जाने वालों को दुत्कार दिया ?आप और आपकी सरकार ने ऐसे लोगों को हाशिए पर ही छोड़ दिया गया है। यहां पर यह स्पष्ट तौर से कहा जा सकता है कि मीसा और डीआईआर वालों को दुलारा किया और सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन जेल जाने वालों को दुत्कार दिया है। ऐसे लोग आज भी सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन जेल जाने के प्रमाण पत्र लेकर भटक रहे हैं। सरकारी दरवाजे पर दस्तक देते-देते थक गये हैं। इनको भी जेपी सम्मान से सम्मानित किया जाए। अन्य साथियों में इकलौता अल्पसंख्यक क्रिश्चियन जौर्ज केरोबिन हैं। सभी साथियों को धारा 143ए 188ए 341ए आई.पी.सी. गर्दनीबाग 24.6.74 सी0एल0ए0 एक्ट 1942 के अधीन 13.6.74 को गिरफ्तार किया गया। इनको बक्सर सेंट्रल जेल भेजा गया। क्या सरकार जौर्ज केरोबिन को क्रिसमस ग्रिफ्ट में जेपी सम्मान पेंशन देगी?


आलोक कुमार
बिहार 

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