तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा कि चीन के साथ किसी तरह का टकराव तिब्बत मसले को सुलझा नहीं सकता. दलाई लामा ने कहा कि तिब्बत के लोग आजादी पर जोर नहीं दे रहे हैं क्योंकि चीन के साथ किसी तरह का टकराव तिब्बत मसले को सुलझा नहीं सकता और क्षेत्र के लिए स्वायत्ता दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगी.
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एक विशेष संबोधन में दलाई लामा ने कहा कि आपसी फायदे के लिए हम आजादी नहीं मांग रहे. यदि हम आजादी पर जोर देंगे तो इससे टकराव पैदा होगा पर टकराव से समस्याएं नहीं सुलझतीं. तिब्बत की स्वायत्ता को तिब्बत और चीन के लोगों के लिए फायदेमंद करार देते हुए 78 साल के दलाई लामा ने कहा कि वह अलगाव की मांग नहीं कर रहे. हालांकि, उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोगों को अपनी संस्कृति, पर्यावरण एवं भाषा के मामले में पूरी संप्रभुता होनी चाहिए.
खुद को ‘शरणार्थी’ और ‘बेघर’ व्यक्ति के अलावा भारत का सबसे लंबे समय तक रहने वाला मेहमान करार देते हुए दलाई लामा ने भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि वह मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक तौर पर खुद को भारत के काफी करीब पाते हैं.
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