कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की याचिका पर दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में सीबीआई के नौ गवाहों को हटाने की मांग की है। इस मामले में सज्जन और तीन अन्य मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
जिला न्यायाधीश जे आर आर्यन ने सीबीआई, आरोपी और पीड़ितों के वकील की जिरह सुनने के बाद फैसला सुनाने की तारीख 11 दिसम्बर तय की। सीबीआई ने इससे पहले कहा था कि आरोपपत्र छह लोगों की हत्या से संबंधित है लेकिन इसे केवल सुरजीत सिंह की हत्या तक सीमित रखा गया है क्योंकि अन्य मतकों के सिलसिले में सुनवाई हो चुकी है।
कुमार और तीन अन्य आरोपियों ने अपनी याचिका में एजेंसी को गवाहों को हटाने की मांग करते हुए कहा कि वे अप्रसांगिक हैं। कुमार के वकील ने पहले कहा था कि सीबीआई ने तीन अलग-अलग प्राथमिकियों और अभियोजन के नौ गवाहों को मिलाकर एक ही आरोपपत्र दायर कर दिया जो सुरजीत सिंह की हत्या से संबंधित नहीं हैं और इन्हें हटाया जाना चाहिए।
बहरहाल, सीबीआई ने कुमार की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एजेंसी को निर्णय करना है कि प्रासंगिक कौन है या अप्रासंगिक कौन है और किसे वे हटाना चाहते हैं। कुमार की याचिका का वरिष्ठ वकील एच़ एस़ फुल्का ने भी विरोध किया जो दंगा पीड़ितों की तरफ से उपस्थित हुए और कहा कि नौ गवाह काफी महत्वपूर्ण हैं और उन्हें हटाए जाने से न्याय प्रभावित होगा।
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