गुजरात दंगों के मामले में जकिया जाफरी की अर्जी पर अहमदाबाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत आज फैसला सुना सकती है। जकिया जाफरी की इस अर्जी में गुजरात दंगों में मोदी को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट दिए जाने पर सवाल खड़े किए गए हैं।
गुजरात दंगों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य की भूमिका की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित एसआईटी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में मोदी को क्लीन चिट दे दी थी। दंगों में मारे गए पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया ने इसे चुनौती दी है। इससे पहले 28 अक्टूबर को कोर्ट ने अपना फैसला दो दिसंबर तक के लिए टाल दिया था। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बी. जे. गंगात्रा के समक्ष पांच महीने तक जाफरी की याचिका पर उनके वकील और एसआईटी के वकील के बीच चली जिरह के बाद 28 अक्तूबर को 2 दिसंबर तक फैसला स्थगित कर दिया गया था।
जिरह पूरी होने के बाद जाफरी के वकील ने 18 सितम्बर को अदालत को लिखित हलफनामा दिया था, जबकि एसआईटी ने अपना लिखित हलफनामा 30 सितम्बर को दिया था। मजिस्ट्रेट गंगात्रा ने तब कहा था कि वह 28 अक्तूबर को फैसला देंगे। बहरहाल 28 अक्तूबर को मजिस्ट्रेट ने फैसला दो दिसम्बर के लिए निर्धारित कर दिया। गौरतलब है कि जकिया जाफरी के पति और पूर्व सांसद एहसान जाफरी 2002 के दंगे में गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में मारे गए 69 लोगों में शामिल थे। जाफरी ने याचिका दायर कर एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी। क्लोजर रिपोर्ट में मोदी को किसी भी तरह के षड्यंत्र में शामिल होने से बरी कर दिया गया था।
जाफरी की शिकायत पर जांच पूरी करने के बाद एसआईटी ने 8 फरवरी, 2012 को जांच रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कहा था कि 8 वर्ष बीत जाने के कारण सबूत जुटाने में परेशानी के बावजूद, जो भी साक्ष्य जुटाए जा सके, उनसे यह साबित नहीं हो सका कि 2002 के दंगों के षड्यंत्र के आरोप जिन लोगों पर लगाए गए थे, वे इनमें शामिल थे।
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