दिल्ली में सरकार बनाने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस में मंगलवार को मतभेद खुलकर सामने आ गए. हालांकि, ऐसे संकेत हैं कि कांग्रेस आने वाले दिनों में आप से जल्द समर्थन वापस नहीं लेगी. अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी को समर्थन के मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर पैदा हुई असहजता को दर्शाते हुए पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा, एक मत ऐसा भी है कि शायद आप को इस तरह समर्थन देने का फैसला सही नहीं है. कुछ लोगों का ऐसा मानना है.
द्विवेदी ने कहा, ‘‘हमने ‘आप’ को अपना समर्थन दिया है. हम उम्मीद करते हैं कि ‘आप’ बेहतर नतीजे दिखाएगी, अपने घोषणा-पत्र पर काम करेगी और लोगों के लिए अच्छा करेगी.’’ बहरहाल, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इस बात से इंकार कर दिया कि वे उप राज्यपाल को दिया गया समर्थन का पत्र तत्काल वापस लेने जा रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने अहमदाबाद में कहा, ‘‘किसी संगठन में मतभेद होते हैं पर अभी आम आदमी पार्टी को हमारा समर्थन है..बाद में क्या होता है हम देखेंगे.’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की टिप्पणियां ऐसे समय में आयी हैं जब कल पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर के बाहर सरकार बनाने के लिए ‘आप’ को समर्थन देने के पार्टी के निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए प्रदर्शन किया था.‘आप’ के दिल्ली में सरकार बनाने के फैसले के बाद से ही कांग्रेस के नेता लगातार यह कहने लगे हैं कि ‘आप’ को बिना शर्त समर्थन नहीं दिया गया है. कांग्रेस के कुछ हलकों का मानना है कि ‘आप’ को समर्थन देना जनता की नजरों में पार्टी को गिरा देगी क्योंकि ‘आप’ के नेता आए दिन कांग्रेस को कोस रहे हैं और उसके नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरु करने की धमकियां दे रहे हैं. इसके अलावा, यह राय भी है कि कांग्रेस फंस गयी है क्योंकि ‘आप’ को समर्थन देने की वकालत करने वाले नेताओं का मानना था कि केजरीवाल सरकार बनाने का दावा पेश करने से बचेंगे. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि अगर कांग्रेस को समर्थन करना ही था तो यह इस तरह किया जाना चाहिए था जैसे वामदलों ने संप्रग-एक सरकार को समर्थन दिया था और सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों में अपनी दखल बनाए रखी थी.
द्विवेदी ने कहा, ‘‘उनकी दलील है कि दिल्ली के मतदाताओं ने कांग्रेस को इतना भी समर्थन नहीं दिया कि विपक्ष का नेता कांग्रेस से हो. हम तीसरे स्थान पर हैं. हमारे लिए शायद यह कहना उचित होता कि सरकार बनाने या नहीं बनाने की जिम्मेदारी कांग्रेस की नहीं है.’’ कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘मतदाताओं ने हमसे यह उम्मीद नहीं की थी. जिसे भी सरकार बनानी थी उसे उनसे समर्थन लेना चाहिए था जिससे वे चाहते थे. हम सीमित परिस्थितियों में विपक्ष की भूमिका निभाते और जनता की समस्याओं के खिलाफ, विकास के कामों के लिए और किसी अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहते. एक जिम्मेदार पार्टी के तौर पर हम अपनी भूमिका निभाते रहते.’’
हालांकि, द्विवेदी ने यह भी कहा, ‘‘चूंकि अब एक प्रस्ताव (आप को समर्थन करने का) पहले ही किया जा चुका है तो हमें इस पर आगे बढ़ना होगा. संभवत: हमें बीच का कोई रास्ता खोजना होगा.’’ द्विवेदी ने दावा किया कि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार ने पिछले 15 सालों में शहर का चेहरा बदल दिया. उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसके बावजूद मतदाताओं ने हमें स्वीकार नहीं किया तो यह हमारे लिए आत्ममंथन करने का समय है कि आखिरकार ऐसा क्यों हुआ.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने काम की शैली, अपने नजरिए को परखेंगे और कमियों को दूर कर अपनी पार्टी को मजबूत करेंगे तथा जनता का भरोसा फिर से हासिल करेंगे. यह देखना हमारा काम नहीं है कि कौन सरकार बनाता है और कौन नहीं. असल में पार्टी के भीतर एक सोच ऐसी भी है.’’
द्विवेदी ने कहा कि ऐसे हालात में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका बेहतर निभा सकती थी और एक जिम्मेदार विपक्ष की तरह लोगों से जुड़े मुद्दे उठा सकती थी. उन्होंने इस सवाल को टाल दिया कि क्या कांग्रेस बाद में ‘आप’ से अपना समर्थन वापस ले सकती है. उनका कहना था कि कांग्रेस अतिवादी रुख नहीं अपनाती और जो संगठन और जो संगठन या पार्टी अतिवादी रुख अपनाते हैं उनका अच्छा हश्र नहीं होता.
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