ईश्वर ने अपने प्रेम के कारण सारी सृष्टि की रचना की। उन्होंने अपनी रचना के मुकुट के रूप में मानव की रचना की। जब मानव ने अपने स्वार्थ के कारण, ईश्वर द्वारा निर्मित इस सुन्दर और विशाल जगत को उसकी सृष्टिकर्ता से अलग कराया और स्वयं अपनी राह चलना स्वीकार किया,तब ईश्वर ने अपनी योजना के अनुसार निर्धारित समय पूरा हो जाने तक उसे ऐसा ही चलने दिया। सही वक्त पर ईश्वर ने अपने प्रेम का इजहार करते हुए अपने इकलौते पुत्र को एक निरे मानव बनने दिया। उस दिव्य बालक के जन्मोत्सव को हम क्रिसमस के रूप में मनाते हैं।
ईसा के जन्म के विषय में भविष्यवाणी करते हुए इसायत ने कहा- ‘अंधकार में भटकने वालों ने एक महती ज्योति देखी है, अंधकारमय प्रदेश में रहने वाले पर ज्योति का उदय हुआ है’ (इसा.9:1)। ये संसार की ज्योति बनकर आए। जो अन्धेरे की आदी हो गए उन्हें इस चमकती हुई ज्योति से डर था। अन्धेरे की शक्तियों ने उदय होने से पहले ही उसे बुझाने की भरपूर कोशिशे कीं। ईसा ने अपने जन्म से दुनिया को यह बताया कि ज्योति अन्धेरे से -प्रेम दुश्मनी से ज्यादा शक्तिशाली है।
ईसा बग जन्म का संदेश सर्वप्रथम समाज के तिरस्कृत और हाशिए पर रहने वाले गड़रियों को सुनाया गया। इस प्रसंग के दो पहलू है- पहला यह कि ईश पुत्र येसु के जन्म का उद्देश्य उन गड़रियों के जैसे करोड़ों लोगों को,जो निरस्कृत और हाशिए पर रहते हुए जीवन के भारी बोझ तले दबे रहते हैं, उन्हें समाज के मुख्य धारा में शामिल करना है। दूसरा यह है कि जो विनम्र और खुले दिल से ईसा को ग्रहण करने के लिए तैयार हैं, वे ही उसे अपने दिल में ग्रहण कर सकते हैं। उस समय पूरे यहूदिया में ज्ञानी और धनी लोगों की कमी नहीं थी। यहूदिया की राजधानी येरूसालेम की अपेक्षा बेतलेहेम को अपना जन्म स्थल चुन कर ईसा ने अपने जन्म के उद्देश्य को और स्पष्ट किया।
अपने जन्म के समय वे समाज द्वारा तिरस्कृत हुए। समाज ने उन्हें जन्म लेने के लिए जगह तक देने से इंकार किया। हालांकि वे इसी समाज के उत्थान के लिए जन्म ले रहे थे, फिर भी उन्हें एक सुयोग्य स्थान मुहैया कराने में वह समाज असर्मथ रहा। इस तिरस्कार के प्रत्युतर स्वरूप उसी समाज में अवतरित होना उन्होंने स्वीकार किया। आज स्वयं को विनम्र बनाकर हम अपने दिल में उन्हें जगह दें। वे हमसे प्रत्येक के ह्नदय में न केवल जन्म ले, वरण सदा निवास भी करें।
चरणी में जन्मे बालक आप सभी विश्वासियों को इस विशुद्ध अवसर पर और आने वाले वर्ष के हर दिन अपनी आशीषों से भर दें! आप अपने दैनिक जीवन के हर क्षण उनकी कृपाओं का अनुभव कर सकें। आप सबों को प्रभु येसु के जन्म पर्व और नूतन वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाइयां।
ईसा के जन्म के विषय में भविष्यवाणी करते हुए इसायत ने कहा- ‘अंधकार में भटकने वालों ने एक महती ज्योति देखी है, अंधकारमय प्रदेश में रहने वाले पर ज्योति का उदय हुआ है’ (इसा.9:1)। ये संसार की ज्योति बनकर आए। जो अन्धेरे की आदी हो गए उन्हें इस चमकती हुई ज्योति से डर था। अन्धेरे की शक्तियों ने उदय होने से पहले ही उसे बुझाने की भरपूर कोशिशे कीं। ईसा ने अपने जन्म से दुनिया को यह बताया कि ज्योति अन्धेरे से -प्रेम दुश्मनी से ज्यादा शक्तिशाली है।
ईसा बग जन्म का संदेश सर्वप्रथम समाज के तिरस्कृत और हाशिए पर रहने वाले गड़रियों को सुनाया गया। इस प्रसंग के दो पहलू है- पहला यह कि ईश पुत्र येसु के जन्म का उद्देश्य उन गड़रियों के जैसे करोड़ों लोगों को,जो निरस्कृत और हाशिए पर रहते हुए जीवन के भारी बोझ तले दबे रहते हैं, उन्हें समाज के मुख्य धारा में शामिल करना है। दूसरा यह है कि जो विनम्र और खुले दिल से ईसा को ग्रहण करने के लिए तैयार हैं, वे ही उसे अपने दिल में ग्रहण कर सकते हैं। उस समय पूरे यहूदिया में ज्ञानी और धनी लोगों की कमी नहीं थी। यहूदिया की राजधानी येरूसालेम की अपेक्षा बेतलेहेम को अपना जन्म स्थल चुन कर ईसा ने अपने जन्म के उद्देश्य को और स्पष्ट किया।
अपने जन्म के समय वे समाज द्वारा तिरस्कृत हुए। समाज ने उन्हें जन्म लेने के लिए जगह तक देने से इंकार किया। हालांकि वे इसी समाज के उत्थान के लिए जन्म ले रहे थे, फिर भी उन्हें एक सुयोग्य स्थान मुहैया कराने में वह समाज असर्मथ रहा। इस तिरस्कार के प्रत्युतर स्वरूप उसी समाज में अवतरित होना उन्होंने स्वीकार किया। आज स्वयं को विनम्र बनाकर हम अपने दिल में उन्हें जगह दें। वे हमसे प्रत्येक के ह्नदय में न केवल जन्म ले, वरण सदा निवास भी करें।
चरणी में जन्मे बालक आप सभी विश्वासियों को इस विशुद्ध अवसर पर और आने वाले वर्ष के हर दिन अपनी आशीषों से भर दें! आप अपने दैनिक जीवन के हर क्षण उनकी कृपाओं का अनुभव कर सकें। आप सबों को प्रभु येसु के जन्म पर्व और नूतन वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाइयां।
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