पत्रकार को लूटे जाने के मामले में नहीं हो रही बरामदगी व गिरफ्तारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 15 दिसंबर 2013

पत्रकार को लूटे जाने के मामले में नहीं हो रही बरामदगी व गिरफ्तारी

  • न्यायालय आदेश के मीन माह बाद भी नहीं की जा रही कार्रवाई 
  • शिकायत पर भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे आईजी व एसपी 

journalist humilated in bhadohi
आपराधिक वारदातों के बोझ से हांफती भदोही पुलिस ने अपराध और अपराधियों के सामने हाथ खड़ा कर दिया है। किसी भी संगीन अपराध का सहजता से मुकदमा दर्ज कर फजीहत नहीं करवाना चाहती। अपराधों में कमी लाने का उसने एक तरीका खोज निकाला है, न मुकदमा दर्ज होगा और न ही अपराध बढेगा। 

खुदा न खास्ते न्यायालय के आदेश पर अगर रपट दर्ज भी कर ली गयी तो तफतीश में अपराधियों को इतना मौका दे दिया जाता है कि वह साक्ष्य मिटाने में सफल रहे। हालात तो यहां तक बिगड़ गए है कि आपके पास सत्ता और जेब का पावर नहीं है तो अपहरण, डकैती, लूट, चोरी के बड़े मामलों में भी एफआईआर दर्ज करवाना हथेली पर दूब जमाने जैसा है। एफआईआर दर्ज करवाने के तथाकथित मानक पर यदि आप खरे नहीं उतरे तो फिर परिक्रमा करते रहिए, चप्पल घिस जायेगी, लेकिन मामला दर्ज नहीं होगा। यहां आने वाली तमाम अर्जिया रद्दी की टोकरी में डाल दी जाती है। आईजी, डीआईजी, डीजीपी व पुलिस अधीक्षक को दी जाने वाली शिकायती प्रार्थना पत्रों की भी सुनवाई नहीं की जाती है। कुछ ऐसा ही आपबीती है संतरविदासनगर भदोही के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गांधी का। 

सात माह पहले पत्रकार का घर-बार लूटे जाने के बाद कार्रवाई न होने पर अर्जी जिला न्यायालय में दी गयी। न्यायालय के आदेश पर 156 (3) के तहत काफी हीलाहवाली के बाद कोतवाली पुलिस रपट तो दर्ज कर ली, लेकिन तीन माह बाद भी कार्रवाई नहीं कर सकी। आरोपी खुलेआम छुट्टा साड़ की तरह घूम रहे है। ऐसा इसलिए कि आरोपी धनवान व दबंग है और इन पर पूर्वांचल के कई ईनामी माफिया व बाहुबलि जनप्रतिनिधियों सहित पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का उन पर संरक्षण है। सात माह पहले तत्कालीन कोतवाल संजयनाथ तिवारी के सह पर विनोद गुप्ता पुत्र स्व बाकेलाल गुप्ता व सुमित उर्फ बिट्टू गुप्ता पुत्र विनोद गुप्ता निवासी काजीपुर रोड भदोही आदि कमरे का ताला तोड़कर कम्प्यूटर, कैमरा सहित 20 लाख से भी अधिक का घरेलू सामान लूट गये। घटना की सूचना तत्काल दिए जाने के बावजूद भी पुलिस ने रपट दर्ज नही की। 

गौरतलब है कि सुरेश गांधी पिछले 15 सालो से मेहीलाल ब्लिडिंग अयोध्यापुरी कालोनी स्टेशन रोड भदोही में किराये के मकान में रहते थे। उनके साथ उनकी पत्नी रश्मि गांधी व दो बच्चे सेजल व साहिल भी रहते थे। श्री गांधी 1996 से पत्रकारिता से जुडे है। वह 1996 से 2012 तक हिन्दुस्तान, तीन साल से टीवी न्यूज चैनल आज तक व एक साल से लखनउ-वाराणसी से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समाचार पत्र जनसंदेश  टाइम्स का भदोही ब्यूरोचीफ है। वह सामाजिक सरोकारों से जुडी खबरों केसाथ-साथ गरीब, दलितों व पीडि़तों की आवाज को प्रमुखता से उठाने के अलावा प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों की खामियों को भी उजाकर करते थे। इससे कुपित लोगों के दवाब में साजिश के तहत कोतवाल भदोही संजयनाथ तिवारी बिना किसी अपराध के धारा 110 जाब्ता फौजदारी के अन्तर्गत उपजिलाधिकारी को रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट के बाबत जब श्री गांधी ने 23 मार्च 2013 को दोपहर मे एसडीएम न्यायालय में अपना जवाब दाखिल किया कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई की कार्यवाही के तीनोें मुकदमों मे पुलिस ने खुद फाइनल रिपोर्ट लगाई है या वह न्यायालय से दोषमुक्त है, तो कोतवाल संजयनाथ तिवारी ने मकान मालिक विनोद गुप्ता व सुमित गुप्ता निवासी काजीपुर रोड भदोही को साजिश मे लेकर रंगदारी मांगने की झूठी रपट दर्ज कर दी और गुडांएक्ट की कार्यवाही कर रिपोर्ट डीएम को दी। डीएम ने बगैर मौका दिए 9 अपै्रल 2013 को जिला बदर कर दिया। इसी बीच उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने 20 मई को जिलाबदर की कार्यवाही पर रोक लगा दी। इसके पूर्व पत्रकार पर जब गुण्डाएक्ट व जिलाबदर के चलते जनपद से बाहर था तो 7 मई 2013 को मकान मालिक विनोद गुप्ता व सुमित गुप्ता पुत्र स्व बाकेलाल आदि ने कमरे का ताला तोड़कर विज्ञापन के 1.5 लाख नगद, जेवर, जरूरी कागजजात व तमाम साक्ष्य उठा ले गये। इसकी सूचना पत्रकार की पत्नी रश्मिी गाॅधी ने कोतवाली से लेकर एसपी तक को दी, लेकिन रपट नही लिखी गई। 

30 मई 2013 को लूट की प्रार्थना पत्र तैयार कर पहली जून 2013 को सुबह सीजीएम न्यायालय मे 156 (3) जाब्ता फौजदारी के अन्तर्गत याचिका दायर की और सुबह 10 बजे कमरे पर आकर अपनी मौसी के बेटे के शादी मे शामिल होने के लिए राॅची चले गये। उसी दिन पुलिस की मौजूदगी मे शाम 4 बजे मकान मालिक विनोद गुप्ता व सुमित गुप्ता आदि कमरे का ताला तोड़कर 15 साल से तिनका-तिनका जुटाई गई 20 लाख से भी अधिक की सम्पत्ति व विवाह में मिले सामानों व जेवरात आदि लूट ले गए। फर्जी मुकदमों में हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद भी गिरफ्तार कर सरेराह बेइज्जत किया गया। पुलिस ने मकान मालिक द्वारा गलत तरीके से दर्ज मुकदमें में चार्जसीट लगा दी। इस उत्पीडन की शिकायत श्री गांधी ने कोतवाली पुलिस से लेकर मुख्यमंत्री, डीजीपी, आईजी, डीआईजी व एसपी को दी, लेकिन रपट दर्ज नहीं की गयी। अब जब सुरेश गांधी व उनकी पत्नी की अलग-अलग प्रार्थना पत्र में जिला न्यायालय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 156(3) के तहत रपट दर्ज करने का आदेश दी। मजिस्ट्रेट के आदेश पर पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कर लिया, लेकिन माफियाओं के दवाब में कार्यवाही नहीं कर रही। आरोपी खुलेआम घुम रहे है। लूटे गए सामानों की पुलिस बरामदगी नहीं कर रही है। इससे इस ठंड में बच्चों की पढाई लिखाई, रहन-सहन प्रभावित तो हो ही रही है श्री गांधी अपनी पत्रकारिता भी नही कर पा रहे है।

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