- मामला पत्रकार सुरेश गाॅधी के पुलिसिया उत्पीड़न व घर-बार लूटने का
- घरेलू सामान के अभाव में कुड़कुड़ा रहे बच्चे व पीडि़त परिवार
- हाईकोर्ट ने भी उत्पीडनात्मक मामले में डीएम, एसपी व कोतवाल समेत प्रमुख गृह सचिव से जवाब मांगा है और मुकदमों पर रोक लगाई
संत रविदास नगर भदोही के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गाॅधी के पुलिस व प्रशासनिक उत्पीड़न के मामले में आईजी जोन वाराणसी द्वारा नोटिस का जवाब न देने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी नाराजगी जताते हुए रिमाइंडर भेजा है। रिमाइंडर नोटिस में आयोग के एसिस्टेन्ट रजिस्ट्रार(ला) ने आईजी को चेताया है कि नियति तिथि पर जवाब न मिलने पर कार्रवाई होगी। प्रथम दृष्टया जांच में न्यायालय के आदेशों का उल्लघंन और गैर जिम्मेदाराना तरीके व साजिस के तहत प्रशासनिक व पुलिस उत्पीड़न का मामला सामने आया है। आयोग द्वारा यह नोटिस वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गाॅधी के भतीजे पंकज जायसवाल निवासी गोपालापुर जौनपुर के आवेदन पर की गयी है। पत्र में पंकज ने कहा है कि उनके चाचा श्री गांधी को पुलिस ने हाईकोर्ट के रोक व जिला न्यायालय से अंतरिम आदेश तक जमानत मिलने के बावजूद कोतवाल संजयनाथ तिवारी व उनके हमराहों ने सरेराह बेईज्जत कर मारा-पीटा और फर्जी मुकदमा दर्ज कर चार्जसीट लगाई है। श्री पंकज के आवेदन पर एनएचआरसी ने आईजी जोन वाराणसी से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था, लेकिन जवाब नहीं भेजा गया।
प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने अपनी नाराजगी जताते हुए निर्धारित तिथि के भीतर रिमाइंडर भेजकर जवाब मांगा है। चेताया है कि जवाब न मिलने पर धारा 113 एनएचआरसी के तहत कार्रवाई होगी। पत्र में पंकज ने कहा है कि उनके चाचा श्री गांधी भदोही में आज तक टीवी चैनेल व हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के ब्यूरोचीफ है। वह मेहीलाल ब्लिडिंग स्टेशन रोड भदोही मे किराए के मकान में रहकर पिछले 15 सालों से पत्रकारिता करते है। गत दिनांे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के नाकामी और गैर जिम्मेदाराना कार्यो सहित भदोही मे हुए दंगे मे प्रशासनिक लापरवाही व जनप्रतिनिधियों के काले कारनामों को उजागर करने पर डीएम एसपी व कुछ जनप्रतिनिधि कुपित होकर साजिश के तहत तत्कालीन कोतवाल भदोही संजयनाथ तिवारी ने बिना किसी अपराध कि पत्रकार के खिलाफ धारा 110 जाब्ता फौजदारी के अन्तर्गत एसडीएम को रिपोर्ट दे दिया और जब पत्रकार ने 23 मार्च 2013 को दोपहर मे अपना जवाब दाखिल किया कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई कार्यवाही के तीनोें मुकदमों मे पुलिस ने खुद फाइनल रिपोर्ट लगाई है या वह न्यायालय से दोषमुक्त है, तो कोतवाल ने मकान मालिक विनोद गुप्ता व सुमित गुप्ता निवासी काजीपुर रोड भदोही को साजिश मे लेकर रंगदारी मांगने की झूठी रपट दर्ज कर दी।
इतना ही नही पुलिस ने पत्रकार के खिलाफ गुडांएक्ट की कार्यवाही कर दी और बगैर मौका दिए जिलाधिकारी ने 9 अपै्रल 2013 को जिला बदर कर दिया। इस दौरान पुलिस व प्रशासन पत्रकार को मारने-पिटने व गिरफ्तार करने की धमकी देती रही। इसी बीच उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने 20 मई को जिलाबदर की कार्यवाही पर रोक लगा दी। इसके पूर्व पत्रकार पर जब गुण्डाएक्ट व जिलाबदर के चलते जनपद से बाहर था तो 7 मई 2013 को मकान मालिक ने कमरे का ताला तोड़कर विज्ञापन के 1.5 लाख नगद,जेवर, जरूरी कागजजात व तमाम साक्ष्य उठा ले गये। इसकी सूचना पत्रकार की पत्नी रश्मिी गाॅधी ने कोतवाली से लेकर एसपी तक को दी, लेकिन रपट नही लिखी गई। 30 मई 2013 को लूट की प्रार्थना पत्र तैयार कर पहली जून 2013 को सुबह सीजीएम न्यायालय मे 156 (3) जाब्ता फौजदारी के अन्तर्गत याचिका दायर की और सुबह 10 बजे कमरे पर आकर अपनी मौसी के बेटे के शादी मे शामिल होने के लिए कुछ कपड़े लेकर जीप से बनारस चले गये। वहाॅ से बस से राॅची के लिए चले गये। इस बीच सायंकाल 4 बजे मोबाईल से सूचना मिली कि कोतवाल सहित पुलिस की मौजूदगी मे मकान मालिक आदि कमरे का ताला तोड़कर सारा सामान उठा ले जा रहे है। इसकी सूचना तत्काल मै एवं मेरी पत्नी ने मोबाईल के जरीए कोतवाली व एसपी के आलावा शहर के तमाम सम्भ्रान्त नागरिकों को सूचना दी और ऐसा न करने व तोडफोड व लूटपाट रोकवाने की गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। मकान मालिक विनोद गुप्ता व बिट्टू गुप्ता आदि मेरी शादी में मिले व 15 सालों में कमाई के गृहस्थी कमरे मे रखे दो कम्प्यूटर सेट, कैमरा, विडियों कैमरा, आज तक लोगो, आलमारी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, रंगीन टीवी, पंलग, कपड़े व कमरो मे रखे अन्य सभी कीमती लगभग 20 लाख के सामान उठा ले गये। गांधी ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस उत्पीडनात्मक मामले में डीएम, एसपी व कोतवाल समेत प्रमुख गृह सचिव को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। इसके अलावा पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमों पर रोक लगा दी है।
इधर श्री गांधी ने आईजी जोन से मिलकर कहा है कि मकान मालिक के खिलाफ न्यायालय से रपट दर्ज होने के बावजूद पुलिस न ही लूट के सामानों की बरामदगी और न ही गिरफ्तारी गिरफतारी ही कर रही है। इससे इस ठंड में बच्चों की पढाई लिखाई,रहन-सहन प्रभावित तो हो ही रही है प्रार्थी अपनी पत्रकारिता भी नहीं कर पा रहा है।
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