- गुंडा एक्ट से लेकर जिलाबदर तक की कार्रवाई, और जब हाईकोर्ट ने लगाई रोक तो सरेराह पिटाई कर किया गया बेइज्जत
- घर-बार लूट जाने के बाद जिला न्यायालय के आदेश पर रपट तो दर्ज हो गया, लेकिन नहीं हो रही बरामदगी व गिरफ्तारी
- हाईकोर्ट व एनएसआरसी द्वारा बार-बार रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद जवाब नहीं दे रहे आईजी व एसपी
- बाहुबलि विधायक के इशारे पर नाच रहे सीएम, गृहसचिव, डीजीपी समेत आला आफिसर
भदोही। संतरविदासनगर भदोही के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गांधी पुलिस प्रशासन व बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा की ज्यादतियों का शिकार हो न्याय के लिए दर-दर भटक रहे है। सच्चाई को सामने लाने का खामियाजा गांधी समेत उनका कुनबा भुगत रहा है। बाहुबलि विधायक के हाथों की कठपुतली बना मुख्यमंत्री से लेकर गृह सचिव, डीजीपी, आईजी व पुलिस अधीक्षक समेत आला हुक्मरान तक को सच्चाई न तो दिखाई पड़ती है और न सुनाई पड़ती है। और जब राष्टीय मानवाधिकार आयोग व उच्च न्यायालय इलाहाबाद नोटिस भेजकर जवाब मांग रही है तो प्रशासनिक व पुलिस महकमा धृतराष्ट की भूमिका में है।
काफी हीलाहवाली के बाद कोतवाली पुलिस जिला न्यायालय के आदेश पर 156 (3) के तहत रपट तो दर्ज कर ली, लेकिन दो माह बाद भी कार्रवाई नहीं कर सकी है। आरोपी खुलेआम छुट्टा साड़ की तरह घूम रहे है। ऐसा इसलिए कि आरोपी धनवान व दबंग है और इन पर पूर्वांचल के कई ईनामी माफिया व बाहुबलि जनप्रतिनिधियों सहित पुलिस का संरक्षण है। वरिष्ठ अधिवक्ता तेज बहादुर यादव व केके राय कहते है कि भदोही में गंडागर्दी चरम पर है। किसी ने अगर सच्चाई को सामने लाने की जुर्रत की तो उसे कानूनी डंडे के सहारे चुप कराने की हर वो कोशिश की जाती है जो कि कानून तक को ताक पर रखकर किया जा सकता है।
सुरेश गांधी पिछले 15 सालो से मेहीलाल ब्लिडिंग अयोध्यापुरी कालोनी स्टेशन रोड भदोही में किराये के मकान में रहते थे। उनके साथ उनकी पत्नी रश्मि गांधी व दो बच्चे सेजल व साहिल भी रहते थे। श्री गांधी 1996 से पत्रकारिता से जुडे है। वह 1996 से 2012 तक हिन्दुस्तान, तीन साल से टीवी न्यूज चैनल आज तक व एक साल से लखनउ-वाराणसी से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समाचार पत्र जनसंदेश टाइम्स का भदोही ब्यूरोचीफ है। श्री गांधी सामाजिक सरोकारों से जुड़ी खबरों के साथ-साथ गरीब, दलितों व पीडि़तों की आवाज को प्रमुखता से उठाने के अलावा प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों की खामियों को भी उजागर करते रहे है।
बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा के बालू खनन, सड़कों के निर्माण में धांधली, सरकारी योजनाओं में लूटपाट, माफियाओं से साठगांठ, भदोही में हुए दंगा व दलित तहिला संतोषी बलात्कार कांड की खबरें प्रदेश ही नहीं राष्टीय स्तर तक पहुंची। खासकर गत वर्ष मुहर्रम पर्व के दौरान भड़की उपद्रव की घटना में प्रशासनिक व पुलिस आफिसरों की खामी व सपा सरकार के गठन के बाद बगैर किसी इजाजत बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा अपने आवास धनापुर में आयोजित शतचंडी यज्ञ में शामिल होना और कबीना मंत्री की मौजूदगी पूर्वांचल के ईनामी शूटरों समेत अतीक अहमद की माजूदगी की खबर आज तक में चलने से विधायक समेत पुलिस व प्रशासनिक आफिसर खफा हो गए। और इन्ही लोगों की साजिश में होकर कोतवाल भदोही संजयनाथ तिवारी बिना किसी अपराध के धारा 110 जाब्ता फौजदारी के अंतर्गत उपजिलाधिकारी और गुडांएक्ट की कार्यवाही कर एसपी के जरिए रिपोर्ट डीएम को दी। इस रिपोर्ट के बाबत जब श्री गांधी ने 23 मार्च 2013 को दोपहर मे एसडीएम न्यायालय में अपना जवाब दाखिल किया कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई की कार्यवाही के तीनोें मुकदमों मे पुलिस ने खुद फाइनल रिपोर्ट लगाई है या वह न्यायालय से दोषमुक्त है, तो कोतवाल संजयनाथ तिवारी ने मकान मालिक विनोद गुप्ता व सुमित गुप्ता निवासी काजीपुर रोड भदोही को साजिश मे लेकर रंगदारी मांगने की झूठी रपट दर्ज कर दी। डीएम ने बगैर मौका दिए 9 अपै्रल 2013 को जिला बदर कर दिया। इसी बीच उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने 20 मई को जिलाबदर की कार्यवाही पर रोक लगा दी। इसके पूर्व पत्रकार पर जब गुण्डाएक्ट व जिलाबदर के चलते जनपद से बाहर था तो 7 मई 2013 को मकान मालिक विनोद गुप्ता व सुमित गुप्ता पुत्र स्व बाकेलाल आदि ने कमरे का ताला तोड़कर विज्ञापन के 1.5 लाख नगद, जेवर, जरूरी कागजजात व तमाम साक्ष्य उठा ले गये। इसकी सूचना पत्रकार की पत्नी रश्मिी गाॅधी ने कोतवाली से लेकर एसपी तक को दी, लेकिन रपट नही लिखी गई। 30 मई 2013 को लूट की प्रार्थना पत्र तैयार कर पहली जून 2013 को सुबह सीजीएम न्यायालय मे 156 (3) जाब्ता फौजदारी के अन्तर्गत याचिका दायर की और सुबह 10 बजे कमरे पर आकर अपनी मौसी के बेटे के शादी मे शामिल होने के लिए राॅची चले गये। उसी दिन पुलिस की मौजूदगी मे शाम 4 बजे मकान मालिक विनोद गुप्ता व सुमित गुप्ता आदि कमरे का ताला तोड़कर 15 साल से तिनका-तिनका जुटाई गई 20 लाख से भी अधिक की सम्मपत्ति व विवाह में मिले सामानों व जेवरात आदि लूट ले गए। फर्जी मुकदमों में हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद भी गिरफ्तार कर सरेराह बेइज्जत किया गया। पुलिस ने मकान मालिक द्वारा गलत तरीके से दर्ज मुकदमें में चार्जसीट लगा दी। इस उत्पीडन की शिकायत श्री गांधी ने कोतवाली पुलिस से लेकर मुख्यमंत्री, डीजीपी, आईजी, डीआईजी व एसपी को दी लेकिन रपट दर्ज नहीं की गयी। अब जब सुरेश गांधी व उनकी पत्नी की अलग-अलग प्रार्थना पत्र में जिला न्यायालय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 156(3) के तहत रपट दर्ज करने का आदेश दी। मजिस्ट्रेट के आदेश पर पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कर लिया, लेकिन माफियाओं के दवाब में कार्यवाही नहीं कर रही है। आरोपी खुलेआम घुम रहे है। कमरे का ताला तोडकर उठा ले गए सामानों की पुलिस बरामदगी नहीं कर रही है। इससे इस ठंड में बच्चों की पढाई लिखाई, रहन-सहन प्रभावित तो हो ही रही है श्री गांधी अपनी पत्रकारिता भी नहीं कर पा रहे है।
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