हॉकी जूनियर वर्ल्ड कप में भारतीय टीम अपने अभियान की शुरुआत 6 दिसंबर से हॉलैंड के खिलाफ करने जा रही है। पिछली कुछ कामयाबियों ने टीम के कप्तान और कोच का हौसला तो बढ़ाया है लेकिन वो भी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि ये वर्ल्ड कप भारतीय हॉकी के सुनहरे भविष्य के लिए क्या मायने रखता है।
6 से 15 दिसंबर तक दिल्ली नेशनल स्टेडियम में जूनियर हॉकी विश्व कप का आयोजन होने जा रहा है। भारत का पहला मैच 6 दिसंबर को हॉलैंड जैसी मजबूत टीम के साथ होना है जो टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। मुकाबला घर में है तो जाहिर सी बात है टीम पर दबाव भी होगा। टीम इस साल सुल्तान जौहर कप में चैंपियन बनी थी। जूनियर टीम के ज्यादातर खिलाड़ी एशिया कप में सीनियर खिलाड़ियों की जगह खेले थे और इस बार जूनियर वर्ल्ड कप के लिए सुल्तान जौहर कप जीतने वाली टीम के ज्यादातर खिलाड़ी रखे गए हैं जिससे टीम का संतुलन सही है और हौसला पूरी तरह बुलंद है।
2001 में भारत ने पहली बार जूनियर वर्ल्ड कप पर कब्जा किया था और उसके बाद से टीम का प्रदर्शन लगातार इस टूर्नामेंट में गिरा है लेकिन इस बार टीम के कप्तान मनप्रीत का दावा है कि टीम इंडिया जीत के लिए जी-जान लगा देगी। भारतीय जूनियर हॉकी टीम की तैयारी के लिए मुख्य कोच ग्रेग क्लार्क के अलावा 3 और सहायक कोच रखे गए हैं। टीम के हर खिलाड़ी को वीडियो एनालेसिस के जरिए परखा जा रहा है और उनकी कमियों को दूर किया जा रहा है। तैयारियों और टीम के हौसले को देखते हुए तो ये कहा जा सकता है कि आने वाले कल में भारतीय हॉकी के लिए अच्छी खबर आ सकती है लेकिन मैदान पर जीत उसी टीम की होगी जो 70 मिनट जी-जान से खेलेगा।
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