पटना। जन संगठन एकता परिषद के तत्तावधान में शनिवार को अनुग्रह नारायण समाज अध्ययन संस्थान में एक दिवसीय बिहार में भूमि सुधार के संदर्भ में सामाजिक संगठनों एवं राजनैतिक दलों के साथ परिसंवाद का आयोजित किया गया।
इस अवसर पर एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि सूबे में भूमि सुधार की स्थिति बहुत ही दयनीय है। अबतक कोई भी सरकार वर्गीय चरित्र से बाहर निकल कर ईमानदारी पूर्वक भूमि सुधार के एजेंडे को लागू नहीं किया है। वहीं सरकार के द्वारा समग्र भूमि सुधार कानून नहीं लागू करने के कारण से राज्य में भूखमरी,आर्थिक विषमता और पलायन का बोलबाला है। इसके शिकार लोग हो रहे हैं। बिहार में व्याप्त हिंसा के मूल में भूमि समस्या ही है।
उन्होंने कहा कि जनादेश 2007 में ग्वालियर से दिल्ली तक पदयात्रा सत्याग्रह की गयी। उस वक्त भारत सरकार ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री की अध्क्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति बनायी थी। तब जाकर राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनायी थी। मगर केन्द्रीय स्तर पर भूमि सुधार नीति नहीं बनायी गयी।
उसके बाद जन सत्याग्रह 2012 में ग्वालियर से दिल्ली तक पदयात्रा सत्याग्रह करके सरकार पर दबाव बनाना था। 75 हजार की संख्या वाली पदयात्रियों के समक्ष झुककर आखिरकार केन्द्रीय सरकार ने समझौता की। जन सत्याग्रह 2012 के महानायक पी.व्ही.राजगोपाल और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के साथ आगरा में भारत सरकार ने 11 अक्टूबर को समझौता किया,जिसमे एक समग्र राष्ट्रीय भूमि नीति निर्माण का एवं आवासीय भूमिहीनों के लिए 10 डिसमिल आवास भूमि हेतु कानून बनाने की बात कही गयी। भारत सरकार के समक्ष समग्र भूमि नीति का मसौदा एवं आवास भूमि अधिकार कानून का बिल लंबित है।
वहीं ग्रामीण विकास मंत्री,भारत सरकार ने बिहार सरकार को अप्रैल 2013 में दो परामर्श पत्र भेजा है, जिसमे प्रथम परामर्श में गरीबों को को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के उपाय की सूची एवं दूसरे परामर्श पत्र में गरीबों को भूमि मुहैया कराने सम्बन्धी विशिष्ठ मुद्दे शामिल हैं। राज्य में 5. 84 लाख भूमिहीन परिवारों को 10 डिसमिल आवास भूमि, भू हदबंदी कानून में संशोधन करना ,बिहार कास्तकारी अधिनियम 1973 के अनुरूप नामांतर मैनुअल तैयार करना ,खासमहल की भूमि में भूमिहीनों को वासस्थल का आवंटन करना ,गैमजरुआ खास भूमि पर से अवैध कब्ज़ा हटा कर भूमिहीनों में वितरित करना , भूदान भूमि का वितरण भूमिहीन महिलाओं के बीच करना इत्यादि शामिल है। राज्य सरकार ने डी बदोपाध्याय आयोग की सिफारिशों को जिस तरह से लंबित रखा है ,उसी तरह इस परामर्श को भी लंबित रख दिया है।
आगामी लोकसभा चुनाव में भूमि सुधार एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बने इसके लिये हम सभी को मिलकर अभियान चलाना होगा। सभी वक्ताओं ने राज्य में व्यापक भूमि सुधार के लिए सूबे में बिहार भूमि अधिकार आयोग के गठन की मांग रखी है।
आलोक कुमार
बिहार
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