आलेख : यूजलेस बनकर रह गया लेटर बॉक्स - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 15 दिसंबर 2013

आलेख : यूजलेस बनकर रह गया लेटर बॉक्स

letter boxपटना। इसे आप क्या कहेंगे? पहले डाक विभाग ने ‘टेलीग्राम’ को यूजलेस बना दिया। उसके बाद अब डाक विभाग लेटर बॉक्स को यूजलेस बनाने पर उतारू है। अगर आपको यकीन नहीं होता है। तो आप कभी भी झूठ नहीं बोलने वाली तस्वीर को देखकर जरूर ही समझ जाएंगे।

कभी टेलीग्राम का नाम सुनते ही होश उड़ जाते थे। उसे डाक विभाग ने 15 जुलाई,2013 को बंद कर दिया। अब कभी नहीं आयेगा टेलीग्राम। इसके साथ टेलीग्राम इतिहास के पन्ने में समा गया। इसी राह को आगे बढ़ाने में डाक विभाग लग गया है। कुर्जी-बोरिंग रोड मार्ग पर जमुना अपार्टमेंट है। इसके सामने श्रीकृष्णापुरी है। यहां पर डाक विभाग के द्वारा लेटर बॉक्स लगाया गया है। इस लेटर बॉक्स में यहां के नागरिक लेटर डाल सके। इस लेटर बॉक्स को देखे। डाक विभाग ने रामराज ला दिया है। रामराज में प्रजा तालाबंद किये ही घर-द्वार छोड़ देते थे। कोई भी आदमी घर में प्रवेश कर समान की चोरी-डकैती नहीं करता था। इसी तरह स्थानीय डाकघर के डाकिया पत्र मंजूषा में ताला ही बंद नहीं करते हैं। बिना ताला बंद के ही पत्र मंजूषा हो गया है। इसका कोई माईबाप नहीं है। इसी कारण आम से खास लोग भी पत्र मंजूषा का उपयोग करना ही बंद कर दिये हैं। 

इनके व्यवहार और आधुनिकता के कारण डाकघर से लोगों का मोहभंग होने लगा है। यह नहीं कि डाक विभाग के सारे के सारे पत्र मंजूषा में ताले को नहीं जकड़ा जाता है। आज भी बेहतर ढंग से लेटर बॉक्स का इस्तेमाल हो रहा है। नौकरी की तलाश में भटकने वाले आवेदन पत्र को डाकघर के ही माध्यम से भेजते हैं। डाकघर की लापरवाही के कारण ही लेटर बॉक्स का व्यवहार नहीं करते हैं। यहां पर डाक विभाग के द्वारा प्रेषक को गारंटी ही नहीं दी जा रही है। आपका आवेदन अथवा पत्र भेज दिया जाएगा। इसके कारण ही कुरियर सिस्टम डेंवलप हो गया है। 

जरूरत है कि डाक विभाग इस यूजलेस लेटर बॉक्स को यूजलेज बनाएं।



आलोक कुमार
बिहार 

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