दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और नस्लभेद विरोधी महानायक नेल्सन मंडेला का रविवार को ईस्टर्न केप प्रांत में उनके पैतृक कुनु गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। विभिन्न देशों के पूर्व और वर्तमान सरकार प्रमुखों, शाही परिवारों के सदस्यों और नामी गिरामी सेलिब्रिटि सहित मंडेला के करीब 4,500 से अधिक प्रशंसकों ने अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया। भारतीय मूल के मशहूर नस्लवाद विरोधी कार्यकर्ता और नेल्सन मंडेला के सहयोगी अहमद कठराडा ने जिस समय मर्मस्पर्शी श्रद्धांजलि दी उस समय कई लोगों की आखें भर आई।
कठराडा ने कहा, "जब वाल्टर (सिसलू) का निधन हुआ तब मैंने अपना एक पिता खो दिया, जब आपका (मंडेला) का निधन हुआ मैंने अपना भाई खोया, अब मुझे नहीं मालूम किसकी बारी है।" वाल्टर सिसलू दक्षिण अफ्रीका के नस्लवाद विरोधी कार्यकर्ता और अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) के सदस्य थे। अंतिम संस्कार समारोह में मालावी के राष्ट्रपति जॉयस बांडा और तंजानिया के राष्ट्रपति जकाया किक्वे टे भी पहुंचे। इसके अलावा ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स, अरबपति कारोबारी पेट्रिस मोत्सेपे और ओपरा विंफ्रे भी समारोह में हिस्सा लिया। समारोह का पूरे विश्व में सीधा प्रसारण किया गया।
मंडेला दक्षिण अफ्रीका के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति थे। उनके जोहांसबर्ग स्थित घर में 95 वर्ष की अवस्था में उनका निधन पांच दिसंबर को हुआ। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने कहा कि देश और सरकार नेल्सन मंडेला की विरासत को आगे ले जाएगी। दक्षिण अफ्रीका की सरकारी समाचार एजेंसी, एसए की रपट के अनुसार, पूर्वी केप प्रांत के कुनू गांव में मंडेला के अंतिम संस्कार के मौके पर जुमा ने मंडेला के परिवार को भी धन्यवाद दिया, जिसने रंगभेदी शासन के दौरान 27 वर्षो तक मंडेला के कारावास के दौरान धर्य बनाए रखा।
जुमा ने कहा, "आपकी क्रांतिकारी आत्मा हमें चैन से नहीं बैठने देगी। हम बेहतर स्कूलों, विश्वविद्यालयों, अच्छे आवासों.. अच्छी नौकरियों और एक सक्षम व जवादेह सार्वजनिक सेवा की आपकी दृष्टि को आगे ले जाने की योजना बना रहे हैं।" अतिविशिष्ट हस्तियों से खचाखच भरे शामियाने में जुमा ने कहा कि बच्चों के प्रति मंडेला के प्रेम को आगे बढ़ाया जाएगा। यहां उपस्थित हस्तियों में मौजूदा और पूर्व राष्ट्राध्यक्ष, शाही परिवार और उच्च दर्जे के लोग शामिल थे।
जुमा ने रंगभेदी सरकार के खिलाफ कुर्बानी देने के लिए मंडेला को भी धन्यवाद दिया। मंडेला की कुर्बानी के कारण ही दक्षिण अफ्रीका में 1994 में लोकतंत्र की स्थापना हुई थी। जुमा ने मंडेला को ज्ञान का स्रोत, शक्ति का स्तंभ और आशा की किरण करार दिया और कहा कि उन्होंने देश को नस्लभेद के बगैर साथ रहने का पाठ पढ़ाया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें