पहले लोग स्मार्ट कार्ड को लेकर इलाज करवाने के लिए भटकते थे अब लोग इलाज करवाने के बाद स्मार्ट कार्ड के लिए भटक रहे हैं। यह हाल राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना 2008 में है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के पांच साल पूरा होने को लेकर निधर््नतम क्षेत्रा नागरिक समाज के सहयोग से प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा एक दिवसीय राज्य स्तरीय जन संवाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना आयोजित की गयी थी। इस अवसर पर केस स्ट्डी प्रस्तुत की गयी। उसी पर आधरित निर्मित रिपोर्ट आलोक कुमार पेश कर रहे हैं।
अब यह हाल हो गया है। पहले लोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीआई) के तहत निर्गत स्मार्ट कार्ड को लेकर इलाज करवाने के लिए भटक रहे थे। अब लोग इलाज करवाने के बाद स्मार्ट कार्ड के लिए भटक रहे हैं। आखिर दोनों में लोग ही भटक रहे हैं। पहले भी लोग ही और अभी भी लोग ही भटक रहे हैं। इस तरह से भटकने वाले लोग कहते हैं कि भगवान के ही घर से ही हम लोगों को ही भटकने के लिए बनाया गया है। भटकने के लिए भगवान के घर से आने वाले ध्रती के भगवान के रूप में विख्यात जीवन देने और जीवन लेने वाले चिकित्सक के पाले में राजेन्द्र राम पड़ गये हैं।
उनसे रू-ब-रू होने के बाद कुर्सेला बस्ती के निवासी राजेन्द्र राम ने कुछ यूं बयान किया। वह स्व. अध्कि लाल राम के पुत्रा हैं। 50 वसंत देख चुके हैं। इनका हाइड्रोसिल बढ़ गया था। 30 रू.देकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड बनवा लिये थे। स्मार्ट कार्ड को कुछ महीने से पेटी में बंद करके रखे थे। आसपास के लोगों के कहने पर स्मार्ट कार्ड से आॅपरेशन करवाने पर राजी हो गए। आगे न्यू चैक, कुर्सेला के आसपास रामाश्रय क्लिनिक खुला हुआ है। रामाश्रय क्लिनिक के डाक्टर रूपेश कुमार के द्वारा स्मार्ट कार्ड पर आॅपरेशन करते हैं। राजेन्द्र राम जी 12 सितम्बर,2013 को रामाश्रय क्लिनिक में भत्र्ती हो गए। भत्र्ती करके डाक्टर रूपेश कुमार ने राजेन्द्र राम जी का हाइड्रोसिल का आॅपरेशन कर दिये। डाक्टर साहब आॅपरेशन करने के बाद मरीज को आठ दिनों तक भत्र्ती रखे। राजेन्द्र राम जी ने खुलासा किये कि क्लिनिक में सोने के लिए बेड उपलब्ध करवाया गया। मगर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना-2008 को धज्जियां उड़ा दिये। एक दिन भी भोजन उपलब्ध नहीं करवाया गया। और तो और डा. रूपेश कुमार के कहने पर जो जांच करवाया गया। उसका भुगतान रोगी के परिजनों को ही करना पड़ा। संतोष देने वाली बात है कि डाक्टर रूपेश कुमार के द्वारा दवाई उपलब्ध करवायी गयी।
डाक्टर रूपेश कुमार ने रोगी राजेन्द्र राम जी को 8 दिनों के बाद 20 सितम्बर की शाम 6 बजे छुट्टी दे दी। मगर डाक्टर साहब ने आवाजाही के लिए किसी तरह की यात्रा भत्ता की राशि नहीं दी गयी। परन्तु पांच दिनों की दवा उपलब्ध करा दी। डाक्टर रूपेश कुमार ने यह कहकर यात्रा भत्ता गड़क गये कि उसके एवज में दवा दे दी गयी है। गुड बाय कहने के पहले डाक्टर रूपेश कुमार ने किसी तरह की कागजात नहीं दिये। यहां तक स्मार्ट कार्ड भी नहीं दिये।
डाक्टर रूपेश कुमार के क्लिनिक में स्मार्ट कार्ड और अन्य कागजात के लिए तीन-चार सप्ताह तक दौड़ाते रहे। तब भी स्मार्ट कार्ड नहीं मिला। इस बीच इस क्षेत्र में कार्यरत प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करके राजेन्द्र राम जी ने आपबीती बयान किये। इन कार्यकर्ताओं के बल पर डाक्टर साहब ने स्मार्ट कार्ड उपलब्ध करा दिया है। इन लोगों से डाक्टर साहब ने कहा कि कम्प्यूटर खराब हो जाने के कारण स्मार्ट कार्ड नहीं दिया जा रहा था।
तब यह सवाल उठता है कि कम्प्यूटर खराब रहने के कारण स्मार्ट नहीं उपलब्ध करवाया गया। आपने डाक्टर साहब तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना-2008 के नियम को ही तांक पर रख दिया। एक पहर भी मरीज को भोजन नहीं करवाया। जो आपने जांच करवाया तो उसकी भरपाई रकम देकर नहीं किये। जाते-जाते 100 रू.यात्रा भत्ता के रूप में नहीं दिये। आपको तो 5 दिनों की दवा उपलब्ध करवानी ही है। यह क्या कह दिये कि यात्रा भत्ता की राशि से दवा उपलब्ध् करवाया दिये। आपके पास 30 हजार रू. के स्मार्ट कार्ड है। उक्त स्मार्ट कार्ड से राशि ले सकते हैं। यहां पर पारदर्शिता नहीं दिखाये। किसी तरह की कागजात उपलब्ध नहीं करवाये। इससे साफ जाहिर होता है कि भ्रष्टचार को अंजाम देने की साजिश चला रहे थे।
इस संदर्भ में जानकार सामाजिक कार्यकर्ता सिसिल साह कहते हैं कि अधिक से अधिक हाइड्रोसिल का आॅपरेशन 5 हजार रू. में हो जाएगा। वह आरएसबीआई के पैकेज में है। रोगी को बेड,दवा,भोजन,जांच और यात्रा भत्ता भी देना है। अगर डाक्ट साहब नहीं किये हैं। तो आरएसबीआई के विरू( कार्य कर रहे हैं। ऐसे डाक्टरों को सूची से हटा ही देना बेहतर है।
मधुबनी पीछे और भोजपुर आगे
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निर्गत स्मार्ट कार्ड उपयोगियता पर अन्तर जिला प्रतियोगिता हो, तो निश्चित तौर आज मधुबनी पीछे और भोजपुर आगे है। आगे-पीछे वाले जिले के नौकरशाहों के बीच में हौड़ गया जाए कि भले ही आज हम पीछे और तो जरूर ही कल हम आगे निकलकर मैदान मार लेंगे। तो आम व्यक्ति को काफी पफायदा होने लगेगा।
पूअरेस्ट एरिया सिविल सोसायटी पैक्स के स्टेट माॅडल आॅपिफसर अरमान सुहैल ने कहा कि सूबे के 14 जिलो में पैक्स के सहयोग से गैर सरकारी संस्था कार्यरत हैं। पैक्स के सहयोग से 9 गैर सरकारी संस्था के द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के ऊपर कार्य किया जा रहा है।
पिफलवक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की उपयोगिता में मधुबनी जिले पीछे है। यहां पर स्मार्ट कार्ड की उपयोगिता केवल 7-8 प्रतिशत ही हुई है। वहीं स्मार्ट कार्ड की उपयोगिता 40 प्रतिशत भोजपुर जिले में हुई है। जो सबसे आगे है। जन जागरण पैदा करके गया जिले के मोहनपुर प्रखंड से एक दिन में 58 मरीजों को हाॅस्पिटल पहुंचाया गया। सभी को हाॅस्पिटल में भत्र्ती करके इलाज कराया गया। स्टेट माॅडल आॅपिफसर अरमान सुहैल ने आगे स्वीकार किया कि बच्चादानी निकालने वाली खबर ने लोगों में हड़कंप मचा दिया गया। इस ओर व्यापक जन जागरण चलाया गया। कोई 200 सार्थक केस स्ट्डी बनाया गया। जिसे लोगों के साथ साझा किया जा रहा है। इससे सकारात्मक सोच विकसित हो पायी है। अगर कोई 40 वर्ष की कम उम्र महिला को पेट में दर्द है। तो परेशान महिला की जांच सर्जन और स्त्री रोग विशेषज्ञ जांच करके एकमत होंगे कि महिला की बच्चादानी निकालना अनिवार्य है। तब जाकर 40 वर्ष की कम उम्र की महिला की बच्चादानी निकाल दी जाएगी।
राज्य सरकार पर भी गंभीर आरोप लगायें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को सफल क्रियान्वयन करने के लिए जिले के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में ‘शिकायत निवारण समिति’ बनानी है। जो कई जिलों में निर्माण ही नहीं की गयी है। अगर ‘शिकायत निवारण समिति’ कार्यशील होती, तो इससे जुड़े चिकित्सक और इंश्योरेंस कम्पनी भी दबाव में रहते।
इस अवसर पर कटिहार जिले के कुर्सेला के हरि मंडल, गया जिले के बोधगया के विशुनधारी यादव, जहानाबाद जिल के जहानाबाद सदर के नागेन्द्र कुमार, गया जिले के मोहनपुर के राजेश कुमार, दरभंगा जिले के हायाघाट के कामोद पासवान, अररिया जिले के नरपतगंज के लाल बहादूर,भोजपुर के अगिआंव के बिनोद पासवान और भोजपुर जिले के सहार की देवंती देवी ने केस स्ट्डी पेश किया।
गया जिले के मोचारिम पंचायत के मोचारिम मुसहरी में भोला साव नामक मजदूर रहते हैं। इनको एक लड़का और एक लड़की हैं। मानसी कुमारी ;9 साल द्ध और मानव कुमार ;7 साल द्ध का है। दोनों के जन्म देने के बाद भोला साव की पत्नी शकुंतला देवी ;30 साल द्ध महिला रोग से बेहाल होने लगी। ठीक तरह से मासिक स्त्राव नहीं होता है और पेट में दर्द होता है। इसको लेकर कई चिकित्सकों से परामर्श लेने गयीं। शकुंतला देवी की उम्र के आलोक में कोई चिकित्सक बच्चादानी का आॅपरेशन करना नहीं चाह रहे हैं। इस समय बच्चादानी का आॅपरेशन करना हाई रिस्क हो गया है। हाल के दिनों में बच्चादानी का आॅपरेशन करने पर लूटपाट होने का आरोप लगा था। इसके कारण चिकित्सक स्मार्ट कार्ड से आॅपरेशन करने से कतरा रहे हैं। मजदूर परिवार के होने के कारण किसी प्राइवेट क्लिनिक में जाकर आॅपरेशन करवाने में सक्षम साबित हो रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत जारी अपने स्मार्ट कार्ड को लेकर चिकित्सकों के दर पर भटकने के लिए शकुंतला देवी मजबूर हैं। इसका स्मार्ट कार्ड की संख्या 103519093120001754 है। यह कार्ड तीस रूपये देने के बाद ही मिला है। इस कार्ड से 5 लोगों का इलाज होता है जो 24 घंटे के लिए भी चिकित्सक के द्वारा अस्पताल के अंदर भत्ती किये गये हैं। इनको भोजन और आवाजाही करने के लिए 100 रूपए दिया जाता है। अब यह कार्ड शकुंतला देवी के लिए सहायक नहीं बन पा रहा है। उसे कम से कम 10 साल तक इंतजार करना ही होगा। अब सरकार ने बच्चादानी का आॅपरेशन 40 साल पार करने के बाद ही कराने की अनुमति दी है। श्रम एवं नियोजन मंत्रालय भारत सरकार ने निजी कम्पनी आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जेनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के सहयोग से राश्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आर.एस.बी.आई.)योजना के स्मार्ट कार्ड के द्वारा प्रदत्त सुविधएं
इस कार्ड के माध्यम से नगद भुगतान किये बिना एक वर्श के अन्तर्गत 30,000रू. ;तीस हजार रू0द्ध मात्रा तक का मुफ्रत ईलाज कर सकते हैं।
इस कार्ड का प्रयोग परिवार के पांच सदस्यों का मुफ्रत ईलाज।
भत्र्ती होने की स्थिति में कार्ड प्रस्तुत करने पर सूचीब( बीमारियों का बिना किसी शुल्क का ईलाज होगा।
जरूरत के अनुसार अस्पताल से छुट्ठी होने के पांच दिनों की अतिरिक्त दवा मुफ्रत मिलेगी।
अस्पताल से छुट्टी होने पर 100 रू. आने-जाने का खर्च मिलेगा।
इस कार्ड से देष भर में कहीं भी किसी भी सूचीब( अस्पताल में ईलाज कराया जा सकता है।
अस्पताल पहंुचने पर स्मार्ट कार्ड की काउन्टर पर दर्ज करावें।
संयुक्त अधीक्षक शैलेश कुमार झा ने केस स्ट्डी पर लिया संज्ञान
कई जगहों के चक्कर लगाने के बाद 12 मई,2012 को डाक्टर नरेश प्रसाद से दुर्गा लाल को देखा। आवश्यक जांच करवाने के बाद घर भेज दिया। उनको अगले दिन 13 मई को आकर भर्ती होने का परामर्श दिया। मरीज दुर्गा लाल 4 बजे गणिनाथ हाॅस्पिटल में आकर भत्र्ती हो गया। भत्र्ती होने के तीन घंटे के बाद डाक्टर नरेश प्रसाद ने दुर्गा लाल का शाम 7 बजे आॅपरेशन कर दिया। आॅपरेशन के बाद मरीज ठीक ठाक रहे। मगर अगले दिन 14 मई को 4 बजे दुर्गा लाल की मौत हो गयी।
श्रम विभाग के संयुक्त अधीक्षक शैलेश कुमार झा ने कहा कि दुर्गा लाल की मौत के बारे में खत लिखकर जिलाधिकारी, भोजपुर से जानकारी देने की मांग करेंगे। साथ में दुर्गा लाल की पत्नी पार्वती देवी को तत्काल तीस हजार रू. की राशि निर्गत किया जाएगा। इसके लिए पार्वती देवी को आवेदन पेश करना होगा। जिलाधिकारी से जांच रिपोर्ट आने के बाद असंगठित कामगार एवं शिल्पकार शताब्दी योजना से लाभान्वित करा दिया जाएगा।
स्थानीय अनुग्रह नारायण समाज अध्ययन संस्थान के सभागार में पूअरेस्ट एरिया सिविल सोसायटी के सहयोग से प्रगति ग्रामीण विकास समिति ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के ऊपर एक दिवसीय राज्य स्तरीय जन संवाद आयोजित किया था। श्रम विभाग के संयुक्त अधीक्षक शैलेश कुमार झा ने भोजपुर जिले से प्राप्त एक केस स्ट्डी के मामले में संज्ञान लिये।
संपूर्ण इस प्रकार है।
भोजपुर जिले के संदेश प्रखंड में कन्हैया लाल के पुत्र दुर्गा लाल (45 साल) रहते हैं। संदेश पंचायत के संदेश गांव से संदेशा है कि दुर्गा लाल को पेशाब की थैली में पत्थरी हो गयी थी। दुर्गा लाल को 15 दिनों से पेशाब रूक गया था। उनकी पत्नी पार्वती देवी ने संदेश के ही किसी चिकित्सक से दुर्गा लाल को दिखाया। उन्हें पाइप लगाकर पेशाब उतार दिया गया। 5 दिनों के बाद संदेश से दुर्गा लाल को टेम्पो पर बैठाकर आरा शहर लिया गया। डा.टी.पी.सिंह से रहरहकर पेशाब बंद होने जाने संबंधी इलाज 8 दिनों तक कराया गया। दुर्गा लाल की मर्ज में सुधार नहीं होने के बाद बिहटा ले गये। यहां के ही चिकित्सक ने डायग्नोसिस किये कि रोगी के पेशाब की थैली में पत्थरी हो गयी है। इसका ऑपरेशन करने के लिए नकद 14 हजार रूपए लगेंगे। इस पर पार्वती देवी ने कहा कि मेरे पास तत्काल राशि नहीं है। गरीबी रेखा के नीचे रहने के कारण पार्वती देवी के पति दुर्गा लाल के नाम से स्मार्ट कार्ड बना हुआ है। पी.एम.सी.एस.के एक्स सीनियर रेजिडेंट और सदर अस्पताल,आरा के सी.एम.ओ. डाक्टर नरेश प्रसाद ने नहर ऑफिस रोड,नवादा, भोजपुर के पास गणिनाथ हाॅस्पिटल, लेप्रोस्कोपी एवं लिथोट्रेपसी(स्टोन) सेंटर खोल रखा है। इस धरती के भगवान समझे जाने वाले चिकित्सक डाक्टर नरेश प्रसाद के सेंटर पर कवाड़ी का धंधा करने वाले दुर्गा लाल इलाज कराने आये थे। आने साथ स्मार्ट कार्ड भी लाये थे। स्मार्ट कार्ड की संख्या 0036177210311360 5 है।
उनको पेशाब की थैली में पत्थरी हो गयी थी। कई जगहों के चक्कर लगाने के बाद 12 मई,2012 को डाक्टर नरेश प्रसाद से दुर्गा लाल को देखा। आवश्यक जांच करवाने के बाद घर भेज दिया। उनको अगले दिन 13 मई को आकर भर्ती होने का परामर्श दिया। मरीज दुर्गा लाल 4 बजे गणिनाथ हाॅस्पिटल में आकर भत्र्ती हो गया। भत्र्ती होने के तीन घंटे के बाद डाक्टर नरेश प्रसाद ने दुर्गा लाल का शाम 7 बजे आॅपरेशन कर दिया। ऑपरेशन के बाद मरीज ठीक ठाक रहे। मगर अगले दिन 14 मई को 4 बजे दुर्गा लाल की मौत हो गयी। मौत होने से घबराड़े डाक्टर नरेश प्रसाद ने खुद एम्बुलेंस काॅल करके मरीज को सदर अस्पताल ले जाने का आदेश दुर्गा लाल की पत्नी को कहने लगे। वह अकेली होने के अलाप लगाने लगी। वह अपने रिश्तेदारों को खबर कर दी। डाक्टर नरेश प्रसाद के बुलावे पर आया एम्बुलेंस से सदर अस्पताल चले गये। तबतक रिश्तेदार सदर अस्पताल पहुंच गये। रातभर सदर अस्पताल में ठहरे रहे। शव को घर ले जाने में दिक्कत होगी। इसको समझकर रिश्तेदारों ने 15 मई को सुबह करीब साढ़े नौ बजे हंगामा किये। हंगामा के बाद डाक्टर नरेश प्रसाद ने अपने लेटर पैड पर रेपफर टू पी.एम.सी.एच. लिखकर दिया। पहले डाक्टर नरेश प्रसाद ने दिनांक 15ण्5ण्12 लिखा। उसके बाद 15 तारीख को बदलकर 14 बना दिया। यहां से मृत्यु प्रमाण पत्रा निर्गत नहीं किया गया। हाॅस्पिटल से मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत नहीं होने से बिहार सरकार (योजना एवं विकास विभाग) सांख्यिकी एवं मूल्यांकन निदेशालय से मृत्यु प्रमाण-पत्रा बनवा लिया गया है। इसकी संख्या 724183 है। पंजीयन संख्या-12 है। जो 18ण्5ण्12 को सतीश कुमार सिंह के द्वारा जारी किया गया है। इस प्रमाण-पत्रा से बीमा योजना में जमा की गयी राशि नहीं निकाली जा सक रही है। इससे के कारण परेशानी बढ़ गयी है। 7 वीं कक्षा छोड़कर जय गोविन्द कुमार(16 साल) बाल मजदूर बन गया है। अभी वह समुन्द्र (अरब सागर) वाले प्रदेश केरल में काम कर रहा है। प्रीति कुमारी (12 साल) 5 वीं में और काजल कुमारी (6 साल) अध्ययनरत है। मां बावली बनकर न्याय की भीख मांगने के लिए दौड़ लगाती रहती है।
श्री कन्हैया लाल के पुत्रा दुर्गा लाल की मौत की न्यायिक जांच करने की मांग की जा रही है। चिकित्सक की लापरवाही के कारण दुर्गा लाल हो गयी मौत के मुआवजा के तौर पर 10 लाख रूपए दिया जाए। हाॅस्पिटल के द्वारा मृत्यु प्रमाण-पत्रा निर्गत किया जाए ताकि उनकी बेवा पार्वती कुवंर बीमा कम्पनी प्रमाण-पत्रा देकर बीमा कम्पनी से राशि निकाल सके। पार्वती कुवंर को लक्ष्मी बार्द सामाजिक सुरक्षा पेंशन स्वीकृत किया जाए। बाल मजदूर बन गये पार्वती कुवंर के पुत्रा जय गोविन्द कुमार और उसकी बहनों को पढ़ाने की व्यवस्था सरकारी स्तर से की जाए।
आलोक कुमार
बिहार
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